जस्टिस संजीव खन्ना का जीवन परिचय | Justice Sanjiv Khanna Biography In Hindi

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना का जीवन परिचय (Next CJI Justice Sanjiv Khanna Biography In Hindi): नवंबर 2024 में भारत के सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की सेवानिवृत्ति भी निर्धारित है। सीजेआई चंद्रचूड़ का स्थान न्यायमूर्ति संजीव खन्ना लेंगे, जो भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश का पद संभालेंगे। जस्टिस खन्ना का कार्यकाल 11 नवंबर 2024 से 13 मई 2025 तक रहेगा।

कौन हैं जस्टिस संजीव खन्ना? भारत के सर्वोच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश हैं, जस्टिस संजीव खन्ना 11 नवंबर, 2024 को भारत के सीजेआई के रूप में पद ग्रहण करेंगे। वह 13 मई, 2025 को अपनी सेवानिवृत्ति तक 6 महीने की अवधि के लिए चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया होंगे ।

उन्हें जनवरी 2019 में दिल्ली HC से SC में पदोन्नत किया गया था। वह वर्तमान में कंपनी कानून, मध्यस्थता, सेवा कानून, समुद्री कानून, नागरिक कानून और वाणिज्यिक कानून सहित अन्य के लिए रोस्टर में हैं। अपने अब तक के साढ़े चार साल के कार्यकाल में, न्यायमूर्ति खन्ना 358 पीठों का हिस्सा रहे हैं और 90 से अधिक महत्वपूर्ण निर्णय लिखे हैं।

Justice Sanjiv Khanna Biography In Hindi
Next CJI Justice Sanjiv Khanna Biography Hindi

जस्टिस संजीव खन्ना का जीवन परिचय (Justice Sanjiv Khanna Biography In Hindi)

भारत के सर्वोच्च न्यायालय के 51वें और अगले मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजीव खन्ना होंगे। वह 11 नवंबर 2024 को भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे।

प्रारंभिक जीवन: जस्टिस संजीव खन्ना का जन्म 14 मई 1960 को नई दिल्ली में हुआ था। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के कैंपस लॉ सेंटर से कानून (L.L.B) की पढ़ाई की। लॉ ग्रेजुएट होने के बाद, उन्होंने 1983 में दिल्ली बार काउंसिल में एक वकील के रूप में अपना नामांकन कराया।

नामसंजीव खन्ना (Justice Sanjiv Khanna )
वर्तमान पदभारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश (Judge of the Supreme Court of India)
जन्मतिथि14 मई 1960
आयुउम्र 63 साल
जन्म स्थान नई दिल्लीनई दिल्ली
एजुकेशनएल.एल.बी. कैंपस लॉ सेंटर, दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU)
कार्यालय2019 से भारत के सुप्रीम कोर्ट जज
पदभार ग्रहण किया18 जनवरी 2019
प्रसिद्धि का कारणवह भारत के सुप्रीम कोर्ट के अगले मुख्य न्यायाधीश ( चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया) होंगे
51st CJIजस्टिस संजीव खन्ना
सीजेआई के रूप में अनुमानित अवधि6 महीने (11 नवंबर, 2024 से 13 मई, 2025 तक)
रिटायर होने की तारीख़14 मई, 2025

कौन हैं जस्टिस संजीव खन्ना (Who is Justice Sanjivv Khanna)

वर्तमान में, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना (जन्म 14 मई 1960) भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश हैं। वह दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश हैं, यह पद उनके पिता देव राज खन्ना के पास भी था। इसके अलावा, वह राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (नेशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी ) के पदेन कार्यकारी अध्यक्ष (एग्जीक्यूटिव चेयरमैन ) भी हैं।

संजीव खन्ना भारत के सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश, न्यायमूर्ति हंस राज खन्ना के भतीजे भी हैं।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना प्रारंभिक जीवन और शिक्षा (Justice Sanjiv Khanna Early Life and Education)

सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश संजीव खन्ना ने अपनी स्कूली शिक्षा वर्ष 1977 में मॉडर्न स्कूल (नई दिल्ली) से पूरी की थी। वर्ष 1980 में सेंट स्टीफन कॉलेज, दिल्ली से स्नातक होने के बाद, उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के फैकल्टी ऑफ़ लॉ के कैंपस लॉ सेंटर में कानून की पढ़ाई की है।

उनके पिता जस्टिस देव राज खन्ना 1985 में दिल्ली उच्च न्यायालय से न्यायाधीश के रूप में सेवानिवृत्त हुए थे और उनकी माँ श्रीमती सरोज खन्ना ने दिल्ली के लेडी श्री राम कॉलेज में हिंदी लेक्चरर के रूप में काम कर चुकी है।

जस्टिस संजीव खन्ना करियर (Justice Sanjiv Khanna Career)

जस्टिस संजीव खन्नाकरियर प्रोफाइल
एनरोलमेंट (नामांकन)1983
दिल्ली हाई कोर्ट के एडिशनल जज24 जून 2005 – 19 फरवरी 2006
दिल्ली हाई कोर्ट के परमानेंट जज20 फरवरी 2006 – 17 जनवरी 2019
भारत के सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान न्यायाधीश18 जनवरी 2019 – नवंबर 2024
भारत के सर्वोच्च न्यायालय के संभावित सीजेआई11 नवंबर, 2024 से 13 मई, 2025 तक

उन्हें वर्ष 1983 में दिल्ली बार काउंसिल में एक वकील के रूप में नामांकित किया गया था। 24 जून 2005 को, उन्हें दिल्ली उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया और 20 फरवरी 2006 को स्थायी कर दिया गया था। जस्टिस संजीव को 18 जनवरी 2019 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था।

वह मुख्य न्यायाधीश धनंजय वाई चंद्रचूड़ की सेवानिवृत्ति के बाद भारत के मुख्य न्यायाधीश बनने की वरिष्ठता में सबसे आगे है, इसलिए इनका अगला 51वां चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया बनना लगभग तय हैं।

एक वकील (एडवोकेट) के रूप में करियर:

संजीव खन्ना ने दिल्ली हाई कोर्ट में टैक्सेशन, आर्बिट्रेशन, कमर्शियल लॉ, पर्यावरण कानून, चिकित्सा लापरवाही कानून और कंपनी कानून इत्यादि मामलों से जुड़े कई केस लड़े हैं।

2004 में, उन्हें दिल्ली उच्च न्यायालय में नागरिक कानून मामलों के लिए दिल्ली के स्थायी वकील के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्होंने क्रिमिनल कानून मामलों में एडिशनल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर के रूप में दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व किया है। वह लगभग सात वर्षों तक दिल्ली के आयकर विभाग के वरिष्ठ स्थायी वकील भी रहे।

जज के रूप में करियर:

24 जून 2005 को, उन्हें दिल्ली उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया और 20 फरवरी 2006 को स्थायी न्यायाधीश बन गए थे।

दिल्ली उच्च न्यायालय में, नियुक्ति के समय से ही जस्टिस खन्ना दिल्ली जुडिशल अकादमी, दिल्ली इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर और डिस्ट्रिक्ट कोर्ट मीडिएशन सेंटर से भी जुड़े रहे हैं।

18 जनवरी, 2019 को जस्टिस संजीव खन्ना को सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत किया गया। यदि वरिष्ठता नियम का पालन किया जाता है, तो वह संभवतः भारत के 51वें सीजेआई होंगे और नवंबर 2024 में पदभार ग्रहण करेंगे।

जस्टिस संजीव खन्ना के उल्लेखनीय फैसले (Notable Judgments of Justice Sanjiv Khanna)

शिल्पा शैलेश (Shilpa Sailesh): 2023 में, उन्होंने शिल्पा शैलेश मामले में संविधान पीठ (सीबी) का फैसला लिखा, जिसमें कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट अपूरणीय टूटने (irretrievable breakdown) के आधार पर सीधे तलाक (divorce) दे सकता है।

यूओआई बनाम यूसीसी (UOI v UCC): यूओआई बनाम यूसीसी में वह उस सीबी का हिस्सा थे जिसने भोपाल गैस त्रासदी पीड़ितों के लिए अतिरिक्त मुआवजे की मांग करने वाली संघ की उपचारात्मक याचिका को खारिज कर दिया था।

जोसेफ शाइन (Joseph Shine): जोसेफ शाइन (2018) में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ संघ द्वारा दायर एक आवेदन में न्यायमूर्ति खन्ना की 5-न्यायाधीशों की पीठ ने सर्वसम्मति से कहा कि यह निर्णय सशस्त्र बलों के सदस्यों पर लागू नहीं होता है।

प्रमोशन में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लिए आरक्षण (Reservations for SCs and STs in Promotions): पिछले साल, जस्टिस संजीव खन्ना उस 3-न्यायाधीशों की बेंच का हिस्सा थे, जिसने इस बात पर गौर किया था कि क्या एससी और एसटी के लिए आरक्षण को पदोन्नति तक बढ़ाया जाना चाहिए। साथ में जस्टिस एल.एन. राव के अनुसार, उनका मानना था कि पदोन्नति में आरक्षण प्रति कैडर दिया जाना चाहिए, न कि संपूर्ण सेवा को।

आर.टी.आई. जजमेंट (‘RTI Judgement’): 2019 में, उन्होंने प्रसिद्ध ‘आरटीआई निर्णय’ में बहुमत की राय के आधार पर निर्णय दिया और कहा कि न्यायिक स्वतंत्रता (judicial independence) को पारदर्शिता और जवाबदेही (transparency and accountability) के रास्ते में नहीं खड़ा होना चाहिए। 2022 में, उन्होंने माना कि मध्यस्थ (arbitrators) एकतरफा अपनी फीस तय नहीं कर सकते।

यह भी पढ़ें
CJI डी वाई चंद्रचूड़ का जीवन परिचय