डी वाई चंद्रचूड़ जीवनी हिंदी में, न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ आयु, डी वाई चंद्रचूड़ पहली पत्नी, दूसरी पत्नी, और परिवार, माता, पिता, जाति, धर्म, सुप्रीम कोर्ट सेवानिवृत्ति, उल्लेखनीय निर्णय, शिक्षा, इंटर्नशिप, संपर्क विवरण, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया, आदि सभी विषयों पर जानकारी दी गई हैं। )
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धनंजय वाई. चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) भारत के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश हैं। उनके करियर की बात करें तो वह इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश और बॉम्बे उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश रह चुके हैं। उन्होंने 9 नवंबर 2022 को भारत के मुख्य न्यायाधीश का पद ग्रहण हैं। न्यायमूर्ति धनंजय यशवंत (डीवाई) चंद्रचूड़ ने 9 नवंबर 2022 (बुधवार) को भारत के 50वें प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) के रूप में शपथ ली। उनका सीजेआई के रूप में दो साल का कार्यकाल होगा और 10 नवंबर, 2024 को उनका भारत के CJI के रूप में कार्यकाल समाप्त होगा।
जस्टिस उदय उमेश ललित की सेवानिवृत्ति के बाद, डी.वाई. चंद्रचूड़ 9 नवंबर 2022 से भारत के 50 वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यरत हैं। वह भारत के 16 वें और सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति वाईवी चंद्रचूड़ के पुत्र हैं।
जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की जीवनी (D. Y. Chandrachud Biography in Hindi)
नाम | डी.वाई. चंद्रचूड़ |
पूरा नाम | धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ |
जन्म तिथि | 11 नवंबर 1959 |
आयु | उम्र 64 वर्ष |
पद | भारत के सर्वोच्च न्यायालय के वर्तमान और 50वें मुख्य न्यायाधीश हैं |
चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया बनें | 9 नवंबर 2022 |
कार्यालय | 2016 से भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश |
पद ग्रहण किया | 13 मई, 2016 |
सेवानिवृत्त | 10 नवंबर, 2024 |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
धर्म | हिंदू |
जाति | ब्राह्मण |
प्रसिद्धि का कारण | भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) हैं |
पत्नी | • रश्मि (फर्स्ट वाइफ) • कल्पना दास (दूसरी वाइफ) |
बच्चे | दो बेटे और दो गोद ली हुई बेटियाँ • चिंतन चंद्रचूड़ • अभिनव चंद्रचूड़ • माही • प्रियंका |
CJI वेतन (अनुमानित) | रु.2,80,000/- प्रति माह |
शौक | संगीत, क्रिकेट |
डी.वाई. चंद्रचूड़ कौन है? (Who is Justice Dhananjay Yashwant Chandrachud)
डॉ० न्यायमूर्ति धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ (Justice Chandrachud) भारत के सर्वोच्च न्यायालय के 50वें मुख्य न्यायाधीश हैं। ये जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ के नाम से अधिक फेमस है। इनका जन्म 11 नवंबर 1959 को हुआ था। वह इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश और बॉम्बे उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश के रूप में भी कार्य कर चुके हैं।
वह वर्तमान में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश हैं और वह 9 नवंबर 2022 से भारत के मुख्य न्यायाधीश (चीफ जस्टिस) के रूप में कार्यभार संभाल रहे हैं। उनका भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के रूप में दो साल का कार्यकाल होगा और उन्हें 10 नवंबर, 2024 को पद छोड़ना होगा।
बॉम्बे उच्च न्यायालय (हाई कोर्ट) के न्यायाधीश बनने से पहले जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट और गुजरात, कलकत्ता, इलाहाबाद, मध्य प्रदेश और दिल्ली के उच्च न्यायालयों में एक वकील के रूप में अभ्यास किया है। वह कंपनी लॉ बोर्ड, एकाधिकार और प्रतिबंधित व्यापार व्यवहार (MRTP) आयोग, विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम (FERA) बोर्ड और राष्ट्रीय और राज्य आयोगों के सामने पेश हुए।
उन्हें 1998 में बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया था। उन्होंने 1998 से 2000 तक भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के रूप में कार्य किया। एक वकील के रूप में, न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ के सबसे महत्वपूर्ण मामलों में संवैधानिक और प्रशासनिक कानून, एचआईवी + श्रमिकों के अधिकार शामिल हैं, धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यक अधिकार, और श्रम और औद्योगिक कानून।
29 मार्च 2000 को, उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्होंने 31 अक्टूबर 2013 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली।
दिलचस्प बात यह है कि डी.वाई. चंद्रचूड़ के पिता, जस्टिस वाई.वी. चंद्रचूड़, का CJI के रूप में सबसे लंबे समय तक सेवा करने का रिकॉर्ड हैं। वाई. वी. चंद्रचूड़ को 22 फरवरी, 1978 को नियुक्त किया गया और 11 जुलाई 1985 को सेवानिवृत्त हुए, जिसका अर्थ है कि उन्होंने सात साल, चार महीने और 19 दिनों तक शीर्ष पद पर कार्य किया।
सेंट स्टीफंस कॉलेज, दिल्ली से स्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद, उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय में विधि संकाय से कानून (एलएलबी) की पढ़ाई की। उन्होंने हार्वर्ड लॉ स्कूल से मास्टर ऑफ लॉ (एलएलएम) की डिग्री और डॉक्टर ऑफ ज्यूरिडिकल साइंस (एस.जे.डी.) की डिग्री प्राप्त की।
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ को 13 मई, 2016 को सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नत किया गया था। इससे पहले, उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य किया था। दिलचस्प बात है कि डी.वाई. चंद्रचूड़ पिछले 10 साल के सबसे कम उम्र के सीजेआई भी होंगे।
जस्टिस चंद्रचूड़, जिन्हें आमतौर पर ‘डीवाईसी’ के रूप में भी जाना जाता है, विशेष रूप से युवा वर्ग के बीच बेहद लोकप्रिय हैं।
नई दिल्ली में भारत के सर्वोच्च न्यायालय में सेवारत न्यायमूर्ति धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ की प्रोफाइल (Profile of Justice Dhananjay Yashwant Chandrachud serving in the Supreme Court of India, in New Delhi)
नाम (Name) | डी.वाई. चंद्रचूड़ (Hon’ble Dr. Justice D. Y. Chandrachud) |
जन्म तिथि (Date of Birth) | 11/11/1959 |
प्रारंभिक ज्वाइनिंग (Initial Joining) | 29/03/2000 |
बॉम्बे HC में शामिल (Joining at Bombay HC) | Mar 29, 2000 |
बॉम्बे HC में काम किया (Served at Bombay HC Upto) | 30th October 2013 |
इलाहाबाद HC में शामिल (Joining at Allahabad HC) | 31/10/2013 |
इलाहाबाद HC में सेवा दी (Served at Allahabad Upto) | 12/05/2016 |
भारत के सर्वोच्च न्यायालय में शामिल (Joining at Supreme Court of India) | May 13, 2016. |
भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यकाल (Tenure as Chief Justice of India) | 9 नवंबर 2022 को न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित के सेवानिवृत्त होने के बाद, वह 10 नवंबर 2024 को अपनी सेवानिवृत्ति तक भारत के मुख्य न्यायाधीश बने रहेंगे। |
सुप्रीम कोर्ट में कार्यभार ग्रहण | 13 मई, 2016 |
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में नियुक्त | 9 नवंबर 2022 |
सेवानिवृत्त होंगे | 10 नवंबर, 2024 |
पूर्व कार्यालय | – |
भारत संघ के लिए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल | 1998 – 28 मार्च 2000 |
सीनियर एडवोकेट, बॉम्बे हाई कोर्ट | जून 1998 – 29 मार्च 2000 |
बॉम्बे हाईकोर्ट के स्थायी न्यायाधीश | 29 मार्च 2000 – 30 अक्टूबर 2013 |
चीफ जस्टिस ऑफ़ इलाहबाद हाई कोर्ट | 31 अक्टूबर 2013 – 12 मई 2016 |
जस्टिस धनञ्जय यशवंत चंद्रचूड़ का प्रारंभिक जीवन (Early Life of Justice DY Chandrachud)
धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ (डी. वाई. चंद्रचूड़) का जन्म 11 नवंबर 1959 को एक प्रतिष्ठित देशस्थ ऋग्वेदी ब्राह्मण परिवार में हुआ है। उनके पिता, यशवंत विष्णु चंद्रचूड़, भारत के इतिहास में सबसे लंबे समय तक न्यायालय में सेवा देने वाले मुख्य न्यायाधीश रहे हैं। जबकि उनकी मां प्रभा एक शास्त्रीय संगीतकार थीं। चंद्रचूड़ की पहली पत्नी रश्मि की 2007 में कैंसर से मौत हो गई थी। जिनसे उन्हें दो बच्चे हैं, एक का नाम चिंतन चंद्रचूड़ और दूसरे का नाम अभिनव चंद्रचूड़ है। न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कुछ साल बाद एक वकील कल्पना दास से शादी कर ली।
डी. वाई. चंद्रचूड़ का परिवार मूल रूप से पुणे (महाराष्ट्र) का रहने वाला है।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कानून में स्नातकोत्तर किया और हार्वर्ड विश्वविद्यालय में न्यायिक विज्ञान में डॉक्टरेट की उपाधि भी प्राप्त की। उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले एक वकील के रूप में अपना करियर शुरू किया। वह 1998 में 39 वर्ष की आयु में वरिष्ठ अधिवक्ता नामित किए जाने वाले सबसे कम उम्र के लोगों में से थे। उन्होंने 1998 से 2000 तक भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के रूप में भी कार्य किया, जब तक कि उन्हें बॉम्बे उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त नहीं किया गया। 2013 में, उन्हें इलाहाबाद उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया और 2016 में सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नत किया गया।
चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ का परिवार (Chief Justice D.Y. Chandrachud’s family)
डी.वाई. चंद्रचूड़ के निजी जीवन की बात करें तो उनकी पहली पत्नी रश्मि की 2007 में कैंसर से मृत्यु हो गई थी। कुछ साल बाद उन्होंने कल्पना दास से शादी की, जो पहले ब्रिटिश काउंसिल में कार्यरत थीं। उनके बड़े बेटे अभिनव बॉम्बे हाई कोर्ट में वकील हैं और छोटा बेटा चिंतन यूके में एक लॉ फर्म में काम करता है।
माता-पिता (Parents)
उनके पिता न्यायमूर्ति यशवंत विष्णु चंद्रचूड़, भारत के 16 वें मुख्य न्यायाधीश थे, जिन्होंने 1978 से 1985 तक सेवा की। वाई. वी. चंद्रचूड़ भारत में सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले मुख्य न्यायाधीश हैं, जिन्होंने 2696 दिनों के कार्यकाल के लिए सेवा की। जबकि उनकी मां प्रभा चंद्रचूड़ एक शास्त्रीय संगीतकार थीं।
पत्नी (Wife)
उनकी पहली पत्नी का नाम रश्मि था, जबकि दूसरी पत्नी का नाम कल्पना दास है। डी.वाई. चंद्रचूड़ और उनकी पहली पत्नी रश्मि के दो बच्चे हैं, दोनों बेटे हैं, एक का नाम चिंतन चंद्रचूड़ और दूसरे का अभिनव चंद्रचूड़ हैं। चंद्रचूड़ की पहली पत्नी रश्मि की 2007 में कैंसर से मृत्यु हो गई थी। जिसके कुछ साल बाद, उन्होंने कल्पना दास से शादी की,जो की पेशे से वकील है।
संतान (Children)
डी.वाई. चंद्रचूड़ और उनकी पहली पत्नी रश्मि के दो बच्चे हैं, दोनों बेटे हैं, एक का नाम चिंतन चंद्रचूड़ और दूसरे का अभिनव चंद्रचूड़ हैं। जबकि दूसरी पत्नी पत्नी का नाम कल्पना दास है, विवाह के बाद चंद्रचूड़ और कल्पना दास ने दो बच्चियों को गोद लिया है, एक का नाम माही और दूसरी का प्रियंका है। आपको बता दें माही और प्रियंका दोनों स्पेशल चाइल्ड हैं।
डी वाई चंद्रचूड़ फैमिली | नाम |
माता | प्रभा चंद्रचूड़ |
पिता | वाई वी चंद्रचूड़ |
पत्नी | • रश्मि (First Wife) • कल्पना दास (Second Wife) |
बच्चे | • दो पुत्र (उनकी पहली पत्नी रश्मि से जन्मे) • दो बेटियां (दो बेटियों को गोद लिया) |
बेटों का नाम | • चिंतन चंद्रचूड़ • अभिनव चंद्रचूड़ |
गोद ली हुई बेटियों के नाम | • माही • प्रियंका |
न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ की शिक्षा और योग्यता (Justice D.Y. Chandrachud Education & Qualification)
न्यायमूर्ति धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ (Justice Chandrachud) ने दिल्ली विश्वविद्यालय में एलएलबी की डिग्री को पूरा किया। इसके बाद उन्होंने प्रतिष्ठित इनलाक्स छात्रवृत्ति (Inlaks Scholarship) प्राप्त करने के बाद हार्वर्ड विश्वविद्यालय में अध्ययन किया। हार्वर्ड में, उन्होंने कानून में परास्नातक (एलएलएम) (Masters in Law: LLM) और न्यायिक विज्ञान में डॉक्टरेट (एसजेडी) (Doctorate in Juridical Sciences: SJD)) पूरा किया।
धनंजय वाई. चंद्रचूड़ शिक्षा (धनञ्जय यशवंत चंद्रचूड़ की शिक्षा)
कैथेड्रल और जॉन कॉनन स्कूल, मुंबई और सेंट कोलंबिया स्कूल, दिल्ली में शिक्षा पूर्ण करने के बाद, उन्होंने 1979 में सेंट स्टीफंस कॉलेज, दिल्ली से अर्थशास्त्र और गणित में ऑनर्स के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने तब विधि संकाय से विधि स्नातक की डिग्री प्राप्त की। 1982 में दिल्ली विश्वविद्यालय, उसके बाद 1983 में हार्वर्ड लॉ स्कूल से मास्टर ऑफ लॉ की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने स्नातक शिक्षा प्राप्त करने वाले भारतीय नागरिकों को दी जाने वाली प्रतिष्ठित इनलाक्स छात्रवृत्ति पर अध्ययन किया। विदेश में पढ़ाई के दौरान हार्वर्ड में जोसेफ एच. बीले पुरस्कार प्राप्त किया। उच्च शिक्षा प्राप्त करने के उद्देश्य से, वह तब हार्वर्ड में अपने डॉक्टरेट ऑफ ज्यूरिडिकल साइंस को पूरा करने के लिए रुके, जिसे उन्होंने 1986 में पूरा किया। उनका डॉक्टरेट शोध प्रबंध सकारात्मक कार्रवाई पर था, और एक तुलनात्मक ढांचे में कानून पर विचार किया।
धनञ्जय यशवंत चंद्रचूड़ की शिक्षा | शिक्षण संस्थान का नाम |
स्कूल (Schooling) | कैथेड्रल और जॉन कॉनन स्कूल, (मुंबई) और सेंट कोलंबस स्कूल, (दिल्ली) |
ऑनर्स इन इकोनॉमिक्स एंड मैथमेटिक्स | सेंट स्टीफंस कॉलेज, (दिल्ली) |
एलएलबी (LLB) | दिल्ली यूनिवर्सिटी, (दिल्ली) |
एलएलएम (LLM) | हावर्ड यूनिवर्सिटी, (संयुक्त राज्य अमेरिका) |
डॉक्टर ऑफ़ जुरिडिकल साइंस (Doctor of Juridical Sciences) | हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, (संयुक्त राज्य अमेरिका) |
• कैथेड्रल और जॉन कॉनन स्कूल, मुंबई और सेंट कोलंबिया स्कूल, दिल्ली में शिक्षा लेने के बाद, उन्होंने 1979 में सेंट स्टीफंस कॉलेज, दिल्ली से अर्थशास्त्र और गणित ऑनर्स के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की।
• इसके बाद जस्टिस चंद्रचूड़ ने 1982 में दिल्ली विश्वविद्यालय में विधि संकाय ( Faculty of Law) से विधि स्नातक की उपाधि प्राप्त की।
• उसके बाद 1983 में हार्वर्ड लॉ स्कूल से कानून में स्नातकोत्तर (Master of Laws degree) की उपाधि प्राप्त की।
• उन्होंने स्नातक शिक्षा प्राप्त करने वाले भारतीय नागरिकों को दी जाने वाली प्रतिष्ठित इनलाक्स छात्रवृत्ति पर अध्ययन किया।
• उच्च शिक्षा को प्राप्त करने के उद्देश्य से इसके बाद वह डॉक्टरेट ऑफ़ ज्यूरिडिकल साइंस पूरा करने के लिए हार्वर्ड में रहे, जिसे उन्होंने 1986 में पूरा किया। उनका डॉक्टरेट शोध प्रबंध सकारात्मक कार्रवाई पर था, और एक तुलनात्मक ढांचे में कानून पर विचार किया।
• विदेश में में स्टडी के दौरान ही हार्वर्ड (Harvard) में जोसेफ एच. बीले (Joseph H. Beale Prize) पुरस्कार प्राप्त किया।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य (Key facts about Hon’ble Dr. Justice Dhananjaya Yashwant Chandrachud )
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य | Key facts about Justice D. Y. Chandrachud |
डी.वाई. चंद्रचूड़ का जन्म 11 नवंबर 1959 को मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ था। | Justice D.Y. Chandrachud was born on November 11, 1959, in Mumbai, Maharashtra. |
1979 में सेंट स्टीफंस कॉलेज, दिल्ली से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। 1982 में दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी, 1983 में हार्वर्ड विश्वविद्यालय से एलएलएम और 1986 में हार्वर्ड से डॉक्टर ऑफ ज्यूरिडिकल साइंसेज (एसजेडी) पूरा किया। | Graduated from St. Stephen’s College, Delhi in 1979. Completed LL.B. from Delhi University in 1982, LL.M. from Harvard University in 1983, and Doctor of Juridical Sciences (SJD) from Harvard in 1986. |
भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के रूप में नियुक्त (1998-2000)। 1998 में वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में मनोनीत। | Appointed as Addl. Solicitor General of India (1998-2000). Designated as Senior Advocate in 1998. |
जनहित याचिका, बंधुआ महिला कामगारों के अधिकार, कार्यस्थल पर एचआईवी पॉजिटिव कामगारों के अधिकार, ठेका श्रम और धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों के अधिकारों से जुड़े कई महत्वपूर्ण मामलों में पेश हुए। | Appeared in several important cases involving PIL, Rights of Bonded Women Workers, Rights of HIV Positive Workers in the Work place, Contract Labour and Rights of Religious and Linguistic Minorities. |
आरबीआई, पोर्ट ट्रस्ट, नगर निगमों और विश्वविद्यालयों सहित कई सार्वजनिक निकायों की ओर से उपस्थित हुए। | Appeared on behalf of several public bodies including RBI, Port Trusts, Municipal Corporations and Universities. |
1983 में ओक्लाहोमा यूनिवर्सिटी, यूएसए में इंटरनेशनल लॉ पढ़ाया और विजिटिंग प्रोफेसर थे। बॉम्बे विश्वविद्यालय में तुलनात्मक संवैधानिक कानून (1988-1997)। | Taught International Law at Oklahoma University, the USA in 1983 and was Visiting Professor. Comparative Constitutional Law at University of Bombay (1988-1997). |
29 मार्च 2000 को बॉम्बे उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। | Appointed as Additional Judge of High Court of Bombay on Mar 29, 2000. |
31 अक्टूबर 2013 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। | Took oath as Chief Justice of Allahabad High Court on Oct 31, 2013. |
13 मई, 2016 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नत। | Elevated to the Supreme Court of India on May 13, 2016. |
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ का करियर (Career of Justice DY Chandrachud)
धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ ने 1982 में दिल्ली विश्वविद्यालय के फैकल्टी ऑफ़ लॉ में कानून का अध्ययन किया। उन्होंने कुछ समय के लिए वकीलों और न्यायाधीशों की सहायता करने वाले एक कनिष्ठ अधिवक्ता (Junior advocate) के रूप में काम किया, जिसमें फली नरीमन (Fali Nariman) के लिए कुछ संक्षिप्त विवरण तैयार करना शामिल था। विदेश जाकर हार्वर्ड से स्नातक (Graduate) करने के बाद, चंद्रचूड़ ने सबसे पहले कानूनी फर्म सुलिवन और क्रॉमवेल में काम किया।उन्होंने उस समय मौजूद मजबूत पेकिंग ऑर्डर और भारतीयों और इसी तरह के विकासशील देशों को काम पर रखने के खिलाफ एक मजबूत पूर्वाग्रह के कारण इस अनुभव को “सरासर अस्थायी” (sheer fluke) के रूप में वर्णित किया।
भारत लौटने पर, उन्होंने भारत के सर्वोच्च न्यायालय और बॉम्बे उच्च न्यायालय में कानून का अभ्यास किया। उन्हें जून 1998 में बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा एक वरिष्ठ अधिवक्ता नामित किया गया था। उस वर्ष, उन्हें भारत का एक अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किया गया था, एक न्यायाधीश के रूप में उनकी नियुक्ति होने तक उन्होंने यह भूमिका निभाई।
जस्टिस चंद्रचूड़ 29 मार्च 2000 से इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने तक, बॉम्बे उच्च न्यायालय में न्यायाधीश बने। इस दौरान वे महाराष्ट्र न्यायिक अकादमी के निदेशक भी रहे। वह 31 अक्टूबर 2013 से 13 मई 2016 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय में नियुक्ति तक इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे। 24 अप्रैल 2021 से, वह भारत के सर्वोच्च न्यायालय के कॉलेजियम का हिस्सा बन गए। जो भारत के सर्वोच्च न्यायालय के पांच वरिष्ठतम न्यायाधीशों से बना एक निकाय है, और भारत के सर्वोच्च न्यायालय और सभी उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए जिम्मेदार है। बहुत जल्द वह भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश बनने वाले हैं।
अपनी न्यायिक सेवा के अलावा, जस्टिस चंद्रचूड़ मुंबई विश्वविद्यालय और संयुक्त राज्य अमेरिका में ओक्लाहोमा यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ लॉ में तुलनात्मक संवैधानिक कानून के विजिटिंग प्रोफेसर भी थे। विदेशों में उन्होंने, ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी, डीकिन यूनिवर्सिटी, मेलबर्न लॉ स्कूल, हार्वर्ड लॉ स्कूल, येल लॉ स्कूल, विलियम एस रिचर्डसन स्कूल ऑफ लॉ, हवाई विश्वविद्यालय और यूनिवर्सिटी ऑफ विटवाटरसैंड, दक्षिण अफ्रीका में व्याख्यान दिया है।
जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ के चर्चित निर्णय (Famous judgments of Justice D. Y. Chandrachud)
न्यायमूर्ति के.एस. पुट्टस्वामी बनाम भारत संघ (Justice K.S. Puttaswamy v Union of India)
न्यायमूर्ति के.एस. पुट्टस्वामी बनाम भारत संघ चंद्रचूड़ जे, एकमात्र असंतुष्ट के रूप में, आधार को असंवैधानिक रूप से धन विधेयक के रूप में पारित किया गया था। उन्होंने अधिनियम के विशिष्ट प्रावधानों पर तर्कों की भी समीक्षा की, जो किसी व्यक्ति की गोपनीयता, गरिमा और स्वायत्तता को प्रभावित करते हैं।
अयोध्या टाइटल विवाद: 2019 (Ayodhya Title Dispute)
अयोध्या टाइटल विवाद (2019) जस्टिस चंद्रचूड़ अयोध्या टाइटल विवाद (2019) में 5 जजों की संविधान पीठ के भी सदस्य थे। इस पीठ ने सर्वसम्मति से विवादित भूमि, जहां कभी ध्वस्त हुई बाबरी मस्जिद थी, का मालिकाना हक भगवान श्री राम विराजमान को देने का फैसला किया और उन्हें उस स्थान पर मंदिर बनाने की अनुमति दी थी। जबकि बाबरी मस्जिद के प्रशासन के प्रभारी सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए एक अलग जगह पर 5 एकड़ जमीन दी गई थी। पढ़ें: अयोध्या राम मंदिर का इतिहास।
नवतेज जौहर बनाम भारत संघ (Navtej Johar v Union of India)
जे चंद्रचूड़ ने नवतेज जौहर बनाम भारत संघ में एक अलग सहमति राय लिखी जिसने भारतीय दंड संहिता की धारा 377 को गैर-अपराधी बना दिया और समान-सेक्स संभोग को कानूनी बना दिया। उन्होंने धारा 377 को एक ‘अकालवादी औपनिवेशिक कानून’ के रूप में माना, जिसने समानता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, जीवन और गोपनीयता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया। उन्होंने कहा कि इसे केवल एलजीबीटी व्यक्तियों को उनके संवैधानिक अधिकारों की गारंटी देने के पहले कदम के रूप में देखा जा सकता है।
शफीन जहान बनाम अशोकन के.एम. (Shafin Jahan v Ashokan K.M.)
शफीन जहान बनाम अशोकन के.एम. हादिया के धर्म और विवाह साथी की पसंद को बरकरार रखा। हादिया ने इस्लाम धर्म अपना लिया था और याचिकाकर्ता शफीन जहां से शादी कर ली थी, जिस पर उसके माता-पिता ने आरोप लगाया कि उसका ब्रेनवॉश किया गया था। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने दोहराया कि विवाह या धर्म में निर्णय लेने का एक वयस्क का अधिकार उसकी निजता के क्षेत्र में आता है।
रोमिला थापर बनाम भारत संघ (Romila Thapar v Union of India)
भीमा कोरेगांव में कथित रूप से हिंसा भड़काने और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ आपराधिक साजिश में भाग लेने के लिए 5 मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के संबंध में रोमिला थापर बनाम भारत संघ में चंद्रचूड़ जे ने असहमति जताई। उन्होंने कहा कि मुद्दा यह था कि क्या गिरफ्तारियों ने संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 द्वारा गारंटीकृत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया है। उन्होंने सुझाव दिया कि एक विशेष जांच दल कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी की जांच करे।
इंडियन यंग लॉयर्स एसोसिएशन बनाम केरल राज्य (Indian Young Lawyers Association v State of Kerala)
इंडियन यंग लॉयर्स एसोसिएशन बनाम केरल राज्य में, चंद्रचूड़ जे ने माना कि सबरीमाला मंदिर से 10-50 वर्ष की आयु के बीच की महिलाओं को बाहर करना संवैधानिक नैतिकता का उल्लंघन है। उन्होंने आगे कहा कि इसने उनकी स्वायत्तता, स्वतंत्रता और गरिमा को नष्ट कर दिया। विशिष्ट रूप से, उन्होंने माना कि प्रथा ने अनुच्छेद 17 का भी उल्लंघन किया, जो अस्पृश्यता को प्रतिबंधित करता है, क्योंकि यह महिलाओं को अशुद्धता की धारणा प्रदान करता है।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार बनाम भारत संघ (Government of NCT of Delhi v Union of India)
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार बनाम भारत संघ में अपनी सहमति में, चंद्रचूड़ जे ने कहा कि उपराज्यपाल दिल्ली के कार्यकारी प्रमुख नहीं हैं। चूंकि प्रतिनिधि लोकतंत्र कार्यपालिका की एक अनिवार्य विशेषता है, इसलिए इसका नेतृत्व मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद द्वारा किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल मुख्यमंत्री की सलाह से बंधे हैं और संविधान के तहत उनकी कोई स्वतंत्र शक्ति नहीं है।
न्यायमूर्ति के.एस. पुट्टस्वामी बनाम भारत संघ (Justice K.S. Puttaswamy v Union of India)
अगस्त 2017 में, सुप्रीम कोर्ट की नौ-न्यायाधीशों की पीठ ने सर्वसम्मति से पुष्टि की कि भारत का संविधान निजता के मौलिक अधिकार की गारंटी देता है। चंद्रचूड़ जे ने न्यायमूर्ति के.एस. पुट्टस्वामी बनाम भारत संघ अपने लिए बोलते हुए और खेहर जे, आरके अग्रवाल जे और अब्दुल नज़ीर जे। उन्होंने निजता और गरिमा के अधिकार को जीवन के अधिकार के आंतरिक हिस्से के रूप में मान्यता दी।
तहसीन पूनावाला बनाम भारत संघ (Tehseen Poonawalla v Union of India)
चंद्रचूड़ जे ने तहसीन पूनावाला बनाम यूनियन ऑफ इंडिया में जज लोया की मौत की परिस्थितियों की जांच की मांग को खारिज कर दिया। जज लोया सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ मामले की सुनवाई कर रहे थे.
अभिराम सिंह बनाम सी.डी. कमचेन (Abhiram Singh v C.D. Commachen)
अभिराम सिंह बनाम सी.डी. कॉमाचेन सुप्रीम कोर्ट की सात-बेंच संविधान पीठ में बहुमत ने कहा कि चुनावी उम्मीदवार धर्म के आधार पर वोट नहीं मांग सकते। चंद्रचूड़ जे ने मामले में असहमतिपूर्ण राय दी। उन्होंने व्यापक सांप्रदायिक अपीलों और शिकायत-आधारित सांप्रदायिक अपीलों के बीच अंतर किया कि यह शासन करने के लिए कि केवल पूर्व जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत निषिद्ध है।
जोसेफ शाइन बनाम भारत संघ (Joseph Shine v Union of India)
जोसेफ शाइन बनाम भारत संघ में, चंद्रचूड़ जे ने व्यभिचार को अपराध से मुक्त करने में बहुमत की राय से सहमति व्यक्त की। उन्होंने पाया कि धारा 497 आईपीसी संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 का उल्लंघन करती है। उन्होंने सीआरपीसी की धारा 198(2) को पढ़ा। उन्होंने कहा कि व्यभिचार को गैर-अपराधी बनाना पितृसत्तात्मक धारणाओं में निहित था और इसके परिणामस्वरूप सदियों से महिला अधीनता थी।
जम्मू-कश्मीर आर्टिकल 370 को हटाना (Abrogation of Article 370)
मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से 11 दिसंबर को अनुच्छेद 370 और 35ए को निरस्त करने को बरकरार रखा, यह देखते हुए कि अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था और पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य की कोई आंतरिक संप्रभुता नहीं थी।
सीजेआई चंद्रचूड़ ने लिखा कि यह तय करते समय कि क्या 370(3) के तहत शक्ति का प्रयोग किया जाना चाहिए, राष्ट्रपति को यह निर्धारित करना होगा कि क्या “विशेष परिस्थितियां जो अनुच्छेद 370 के रूप में एक विशेष समाधान की आवश्यकता थीं, उनका अस्तित्व समाप्त हो गया है।” यह एक “नीतिगत निर्णय था जो पूरी तरह से कार्यपालिका के दायरे में आता है।” हालाँकि, CJI ने लिखा कि यदि राष्ट्रपति का इरादा दुर्भावनापूर्ण है तो उनका निर्णय समीक्षा का विषय होगा।
अंततः 11 दिसंबर 2023 को, सुप्रीम कोर्ट के पांच वरिष्ठतम न्यायाधीशों ने जम्मू और कश्मीर (J&K) को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की केंद्र सरकार की कार्रवाई को बरकरार रखा।
मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने अपनी ओर से जस्टिस बी.आर. गवई और सूर्यकांत ने 476 पेज के फैसले में 352 पेज लिखे। न्यायमूर्ति एस.के. कौल ने 121 पेज और जस्टिस संजीव खन्ना ने तीन पेज का सहमति वाला फैसला लिखा। इस तरह भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डी.वाई. की अध्यक्षता वाली एक संविधान पीठ चंद्रचूड़ ने सोमवार को सर्वसम्मति से केंद्र सरकार के 2019 के फैसले को बरकरार रखा था।
भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश कौन हैं?
भारत के सर्वोच्च न्यायालय के वर्तमान और 50वें मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ हैं। न्यायमूर्ति धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ ने 9 नवंबर 2022 को राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक संक्षिप्त समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा भारत के 50 वें मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के रूप में शपथ ली। उनके पहले पूर्व CJI, UU ललित थे, जिन्होंने 74 दिनों के छोटे कार्यकाल की सेवा की थी। CJI DY चंद्रचूड़ 10 नवंबर, 2024 तक सेवा देंगे। गौरतलब है कि, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष है।
भारत के 50 वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में नियुक्त
17 अक्टूबर 2022 को, केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने घोषणा की कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने न्यायमूर्ति धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ को भारत के 50 वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में नियुक्त किया है। सीजेआई न्यायमूर्ति यू.यू. ललित के CJI के पद से सेवानिवृत्त होने पर, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने 9 नवंबर, 2022 को भारत के मुख्य न्यायाधीश के तौर पर शपथ ली थी।
पिछले 10 साल के सबसे कम उम्र के सीजेआई
न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ 62 साल, 11 महीने और 29 दिन की उम्र में, पिछले 10 साल के सबसे कम उम्र के CJI, भी होंगे। डी.वाई. चंद्रचूड़ 10 नवंबर, 2024 को अपनी सेवानिवृत्ति तक दो साल और दो दिनों के लिए सीजेआई के रूप में काम करेंगे।
CJI डी वाई चंद्रचूड़ की सेवानिवृत्ति (Justice D Y Chandrachud Retirement)
(CJI) जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ इस पद पर 10 नवंबर 2024 तक सेवा देंगे। इस तथ्य को याद रखें कि सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष है।
FAQ: जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ जीवनी
u003cstrongu003eQ. जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ कौन हैं?u003c/strongu003e
u003cstrongu003eAns.u003c/strongu003e डॉ. न्यायमूर्ति धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ वर्तमान में भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश हैं, और 9 नवंबर 2022 को भारत के मुख्य न्यायाधीश के तौर पर शपथ ली हैं।
u003cstrongu003eQ. भारत के 50वें CJI कौन होंगे?u003c/strongu003e
u003cstrongu003eAns.u003c/strongu003e न्यायमूर्ति धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ को भारत के 50 वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में नियुक्त किया गया है, इन्होंने 49 वें CJI उदय उमेश ललित की जगह ली है।
u003cstrongu003eQ. जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ का पूरा नाम क्या है?u003c/strongu003e
u003cstrongu003eAns.u003c/strongu003e न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ का पूरा नाम धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ है।
u003cstrongu003eQ. भारत के सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले CJI कौन हैं?u003c/strongu003e
u003cstrongu003eAns.u003c/strongu003e जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ के पिता जस्टिस वाई.वी. चंद्रचूड़ भारत के 16वें और सबसे लंबे समय (2,696 दिन) तक सेवा देने वाले सीजेआई थे।
u003cstrongu003eQ: जस्टिस चंद्रचूड़ की पत्नी कौन हैं?u003c/strongu003e
u003cstrongu003eAns.u003c/strongu003e डीवाई चंद्रचूड़ की पहली पत्नी का नाम रश्मी चंद्रचूड़ है जिनकी साल 2007 में मौत हो गई थी और बाद में उन्होंने कल्पना दास से शादी की थी। वर्तमान में उनकी पत्नी का नाम कल्पना दास है।
u003cstrongu003eQ: जस्टिस चंद्रचूड़ की पहली पत्नी कौन है?u003c/strongu003e
u003cstrongu003eAns.u003c/strongu003e जस्टिस चंद्रचूड़ की पहली पत्नी u003cstrongu003eरश्मि चंद्रचूड़u003c/strongu003e थी, परंतु उनकी वर्ष 2007 में कैंसर से मौत हो गई थी।
u003cstrongu003eQ: जस्टिस चंद्रचूड़ की दूसरी पत्नी कौन हैं?u003c/strongu003e
u003cstrongu003eAns.u003c/strongu003e जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की दूसरी पत्नी u003cstrongu003eकल्पना दासu003c/strongu003e हैं, और वह भी पेशे से वकील हैं। पहली पत्नी रश्मि की वर्ष 2007 में कैंसर से मृत्यु होने के कुछ साल बाद उन्होंने कल्पना दास से शादी की।
u003cstrongu003eQ: भारत के वर्तमान चीफ जस्टिस कौन है?u003c/strongu003e
u003cstrongu003eAns.u003c/strongu003e धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ (Dhananjaya Yeshwant Chandrachud)।
u003cstrongu003eQ: भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़ अपने पद से कब रिटायर होंगे?u003c/strongu003e
u003cstrongu003eAns.u003c/strongu003e भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़ 10 नवंबर 2024 को सेवानिवृत्त होंगे।
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