भारत का गगनयान मिशन क्या है 2024 |What Is Gaganyaan Mission In Hindi

इसरो के गगनयान मिशन लॉन्च की तारीख क्या है, लक्ष्य, लॉन्च व्हीकल, मददगार देश, किस ग्रह के लिए है, गगनयान पर निबंध (What is Gaganyaan mission launch date, aim, launch vehicle name, helping countries, astronaut name, for which planet, Wikipedia, UPSC.)

गगनयान मिशन क्या है? (what is Gaganyaan Mission): गगनयान भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा 2024 तक पांच से सात दिनों की अवधि के लिए तीन सदस्यीय चालक दल को अंतरिक्ष में भेजने का एक मिशन है।

इस अंतरिक्ष मिशन की घोषणा पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2018 में राष्ट्र के नाम अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में की थी। मानवयुक्त मिशन से पहले, इसरो ने गगनयान मिशन के हिस्से के रूप में अंतरिक्ष में दो मानव रहित मिशन भेजने की भी योजना बनाई है। पहला मानव रहित मिशन दिसंबर 2020 में भेजा जाना था और दूसरा मिशन जून 2021 के लिए निर्धारित किया गया था।

हालांकि, कोरोना वायरस महामारी के कारण इसरो के काम और संचालन में व्यवधान के कारण पहले मानवरहित मिशन में देरी हुई है। अब इस मिशन के साल 2024-2025 में लॉन्च किया जाएगा। इंडिया के इस स्पेस कार्यक्रम की कुल लागत 10000 करोड़ रुपये से कम होने की उम्मीद है।

इसरो द्वारा विकसित गगनयान अंतरिक्ष यान को 300-400 किलोमीटर की निचली पृथ्वी की कक्षा (LEO) में रखा जाएगा। देश के लिए गगनयान महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पहला स्वदेशी मिशन है जो भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजेगा। यदि यह सफल होता है, तो भारत अंतरिक्ष में मानव भेजने वाला चौथा देश होगा, अन्य तीन देश अमेरिका, रूस और चीन होंगे।

इस लेख में हमने यह जानने की कोशिश की कि गगनयान क्या है, इसरो गगनयान मिशन का उद्देश्य और महत्व क्या है।

What is Gaganyaan Mission In Hindi
भारत के गगनयान मिशन की जानकारी हिंदी में

Table of Contents

भारत का गगनयान मिशन क्या है (What is Gaganyaan Mission India)

गगनयान क्या है: गगनयान मिशन साल 2018 में भारत सरकार द्वारा घोषित और स्वीकृत अंतरिक्ष योजना है। गगनयान इसरो द्वारा बनाया गया एक स्पेसक्राफ्ट है, जिसमें इसरो (ISRO) एक महिला रोबोट समेत तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस में भेजेगा। यह 5-7 दिनों के लिए पृथ्वी के ऊपर 300-400 किमी की ऊंचाई पर एक लो अर्थ ऑर्बिट में पृथ्वी का चक्कर लगाएगा और वापस लौटेगा।

गगनयान कब लॉन्च होगा: भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन “गगनयान” 2024 में लॉन्च किया जाएगा। मिशन पूरा होने के बाद भारत अमेरिका, रूस और चीन के बाद मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन शुरू करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। अंतरिक्ष मिशन की घोषणा पहली बार प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 में राष्ट्र के नाम अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में की थी।

गगनयान मिशन का उद्देश्य: गगनयान कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य मानव को भारतीय प्रक्षेपण यान पर पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजने और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाने की क्षमता को प्रदर्शित करना है।

गगनयान प्रोजेक्ट में 3 सदस्यों के चालक दल को 400 किमी की कक्षा में 3 दिनों के मिशन के लिए लॉन्च करके और सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाने के उन्हें भारतीय समुद्री जल में उतारकर, भारत द्वारा मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता के प्रदर्शन की परिकल्पना की गई है। भारतीय इसरो जिस अंतरिक्ष यान को विकसित कर रहा है उसमें रूस अंतरिक्ष यात्रियों के प्रशिक्षण में हमारी मदद कर रहा है।

एचएसएफसी मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम के तहत गगनयान की पहली विकास उड़ान को लागू करने के लिए मौजूदा इसरो केंद्रों का समर्थन लेगा। अंतरिक्ष यात्रियों के बैठने वाली जगह क्रू मॉड्यूल का निर्माण पूरा हो चुका है।

गगनयान के पहले चालक दल के मिशन (क्रू मिशन) को मूल रूप से दिसंबर 2021 में इसरो के LVM3 पर लॉन्च करने की योजना थी, लेकिन इसमें 2024 से पहले लॉकडाउन के कारण देरी हुई है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अपने पहले मानव अंतरिक्ष यान (गगनयान) की तैयारी में लगा हुआ है।

गगनयान अंतरिक्ष कार्यक्रम के तहत:

• तीन उड़ानें कक्षा (Orbit) में भेजी जाएंगी।
• दो मानव रहित उड़ानें और एक मानव अंतरिक्ष उड़ान होगी।
• कक्षीय मॉड्यूल (Orbital Module) में एक महिला रोबोट सहित तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्री होंगे। यह 5-7 दिनों के लिए पृथ्वी से 300-400 किमी की ऊंचाई पर एक निम्न-पृथ्वी-कक्षा में पृथ्वी का चक्कर लगाएगा।

गगनयान की तैयारी और प्रक्षेपण:

• इसके लिए चार भारतीय अंतरिक्ष यात्री-उम्मीदवार पहले ही गगनयान कार्यक्रम के तहत रूस में सामान्य अंतरिक्ष उड़ान प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं।

• मिशन के लिए इसरो के हैवी-लिफ्ट लॉन्चर GSLV Mk III की पहचान कर ली गई है।

गगनयान की विशेषताएं क्या हैं (What are the Features of Gaganyaan Mission)

ISRO Mission Gaganyaan Kya Hai
गगनयान मिशनविवरण / विशेषताएं
नामगगनयान
संचालकइसरो (ISRO)
एप्लीकेशनक्रू ऑर्बिटल व्हीकल
निर्माताभारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO), रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO), हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL)।
निर्माण करने वाला मूल देशभारत
मिशन की घोषणा किसने कीपीएम नरेंद्र मोदी
मिशन की घोषणा कब की गई थी15 अगस्त 2018, स्वतंत्रता दिवस पर देश को संबोधित करते हुए
लागत10000 करोड़ रुपये (लगभग)
गगनयान का अर्थसंस्कृत: गगन-यान, “स्पेस क्राफ्ट”
महत्वभारतीय मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम का प्रारंभिक अंतरिक्ष यान
लॉन्च• बिना चालक दल के: तीसरी तिमाही 2023
• चालक दल: 2024
गगनयानस्पेसिफिकेशंस
स्पेसक्राफ्ट टाइपचालक दल (Crewed)
क्रू क्षमता3 एस्ट्रोनॉट्स (अंतरिक्ष यात्री)
लाइफ7 दिन
रेंजपृथ्वी की निचली कक्षा (लो अर्थ ऑर्बिट)
पावरफोटोवोल्टिक ऐरे
लॉन्च मास8,200 किग्रा (18,100 पाउंड) (सर्विस मॉड्यूल शामिल है)
ड्राई मास3,735 किग्रा (8,234 पौंड)
डायमेंशन• डायामीटर: 3.5 मीटर (11 फीट)
• हाइट: 3.58 मीटर (11.7 फीट)
वॉल्यूम8 एम3 (280 क्यू फीट)

गगनयान मिशन का उद्देश्य क्या है (What is the Purpose of Gaganyaan)

गगनयान कार्यक्रम का उद्देश्य मानव को भारतीय लॉन्च वाहन पर पृथ्वी की निचली कक्षा (LEO) में भेजने और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाने की क्षमता प्रदर्शित करना है। COVID प्रतिबंधों के कारण भारत के गगनयान कार्यक्रम में थोड़ी देरी हुई, लेकिन अब 2024-25 तक मिशन को हासिल करने की तैयारी जोरों पर है।

गगनयान परियोजना के तहत 3 सदस्यों के चालक दल को 400 किमी की कक्षा (ऑर्बिट) में 3 दिनों के मिशन के लिए लॉन्च करके और मिशन पूरा होने के बाद उन्हें भारतीय समुद्री जल में सुरक्षित और सफल लैंडिंग करवाना है। अतः इस गगनयान कार्यक्रम का उद्देश्य भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को मिशन पूरा होने पर सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाकर इसरो द्वारा भारत की मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता के प्रदर्शन को साबित करना है।

गगनयान का उद्देश्य क्या है, मुख्य बिंदु:

• गगनयान के माध्यम से पहला भारतीय मानवयुक्त अंतरिक्ष यान स्पेस भेजना है।

• गगनयान कार्यक्रम का उद्देश्य लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) तक मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन शुरू करने के लिए स्वदेशी क्षमता का प्रदर्शन करना है।

• इस मिशन में इसरो को भारत सरकार द्वारा दो मानव रहित मिशन और एक मानवयुक्त मिशन के लिए मंजूरी दी गई है।

गगनयान मिशन कब शुरू हुआ था (गगनयान मिशन की घोषणा कब हुई थी)

भारत के गगनयान अंतरिक्ष मिशन की घोषणा पहली बार भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2018 में राष्ट्र के नाम अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में की थी। तब से इस प्रोजेक्ट पर निरंतर काम होता रहा हैं।

गगनयान कब लॉन्च किया जाएगा (When Gaganyaan will be launched)

गगनयान मिशन लॉन्च: इसरो ने 2024 में पहला मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन शुरू करने की योजना बनाई है।
• GSLV Mk III, जिसे LVM-3 (लॉन्च व्हीकल मार्क-3) भी कहा जाता है, तीन चरणों वाला भारी लिफ्ट लॉन्च वाहन है, जिसका उपयोग गगनयान को लॉन्च करने के लिए किया जाएगा क्योंकि इसमें आवश्यक पेलोड क्षमता है।

• गगनयान के प्रमुख मिशन जैसे क्रू एस्केप सिस्टम के प्रदर्शन के सत्यापन के लिए टेस्ट व्हीकल फ्लाइट और गगनयान (जी1) का पहला अनक्रूड मिशन इस साल (2023) की दूसरी छमाही की शुरुआत के दौरान निर्धारित है।

• इसके बाद 2023 के अंत में इसरो द्वारा विकसित एक अंतरिक्ष यान मानव रोबोट ‘व्योमित्र’ (‘Vyommitra’) और अंत में 2024 में पहला मानवयुक्त गगनयान मिशन होगा।

• मानव रहित ‘जी1 मिशन’ 2023 की चौथी तिमाही में लॉन्च होगा, दूसरा मानव रहित ‘जी2 मिशन’ 2024 की दूसरी तिमाही में लॉन्च होगा और अंतिम मानव अंतरिक्ष उड़ान ‘एच1 मिशन’ 2024 की चौथी तिमाही में लॉन्च होगी

गगनयान के बारे में मुख्य बिंदु (Key Points About Gaganyaan):

हाल ही में, केंद्रीय परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष मंत्री (यूनियन मिनिस्टर ऑफ़ एटॉमिक एनर्जी एंड स्पेस ) ने सूचित किया कि मानवयुक्त गगनयान मिशन अंततः 2024-25 में लॉन्च किया जाएगा। देश का पहला स्वदेश निर्मित अंतरिक्ष स्टेशन 2030 तक बनने की संभावना है।

गगनयान परियोजना के तहत 3 सदस्यों के एक दल को 400 किमी की कक्षा में 3 दिनों के मिशन के लिए लॉन्च किया जाना है और मिशन पूरा होने के बाद उन्हें भारतीय जल में सुरक्षित और सफल लैंडिंग करनी होगी। इसलिए, इस गगनयान कार्यक्रम का उद्देश्य मिशन पूरा होने पर भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाकर इसरो द्वारा भारत की मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता को साबित करना है।

• गगनयान, भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन है।

• भारत का गगनयान भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का एक अंतरिक्ष मिशन है।

• गगनयान कार्यक्रम के तहत तीन उड़ानें कक्षा (orbit) में भेजी जाएंगी। दो मानव रहित उड़ानें (unmanned flights) और एक मानव अंतरिक्ष उड़ान (human spaceflight) होगी।

• बूस्टर इंजन जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल MkIII (GSLV Mk III) रॉकेट का हिस्सा है जो भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में ले जाएगा।

• ऑर्बिटल मॉड्यूल कहे जाने वाले गगनयान सिस्टम मॉड्यूल में एक महिला रोबोट (व्योममित्र) सहित तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्री होंगे।

• गगनयान 5-7 दिनों के लिए पृथ्वी से 300-400 किमी की ऊंचाई पर एक लो अर्थ ऑर्बिट यानी पृथ्वी की निचली कक्षा में पृथ्वी का चक्कर लगाएगा।

• इस लॉन्च के साथ भारत एलीट क्लब ऑफ नेशंस (अमेरिका, चीन और रूस) में शामिल हो जाएगा।

• इस लॉन्च के साथ, भारत संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के बाद मानव अंतरिक्ष यान मिशन शुरू करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा।

• स्वदेशी हेल्थ रिसर्च मॉड्यूल सहित कई अनुसंधान मॉड्यूल के साथ 500 से अधिक उद्योग गगनयान के प्रक्षेपण में शामिल हैं।

• अंतरिक्ष यात्री (एस्ट्रोनॉट) एडवांस्ड ट्रेनिंग सुविधा बेंगलुरु में स्थापित की गई है। प्रशिक्षण के भारतीय चरण के हिस्से के रूप में बुनियादी हवाई चिकित्सा प्रशिक्षण और उड़ान अभ्यास पूरा किया गया है।

• माइक्रोग्रैविटी प्रयोगों के विकास से संबंधित गतिविधियां शुरू हो गई हैं।

• मिशन के 2024 – 2025 में लॉन्च होने की उम्मीद है।

• राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों एजेंसियों के साथ समझौता ज्ञापन, अनुबंध और कार्यान्वयन व्यवस्था (IA) संबंधित गतिविधियाँ अच्छी तरह से आगे बढ़ रही हैं। स्पेस सूट, क्रू सीट और व्यू पोर्ट के लिए मैसर्स ग्लावकोस्मोस (रूसी अंतरिक्ष एजेंसी) के साथ अनुबंध के तहत डिलिवरेबल्स की प्राप्ति शुरू हो गई है। CNES (फ्रेंच स्पेस एजेंसी) IA के विभिन्न कार्य पैकेजों के तहत डिलिवरेबल्स की प्राप्ति भी शुरू हो गई है।

• गगनयान अंतरिक्ष कार्यक्रम की औपचारिक घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त, 2018 को अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन के दौरान की थी।

गगनयान पेलोड (Gaganyaan Payloads)

पेलोड में शामिल होंगे:

• क्रू मॉड्यूल – मानव को ले जाने वाला अंतरिक्ष यान (स्पेसक्राफ्ट)।
• सर्विस मॉड्यूल – दो तरल प्रोपेलेंट इंजनों (liquid propellant engines) द्वारा संचालित।
• यह इमरजेंसी एस्केप और इमरजेंसी मिशन एबॉर्ट क्षमता से लैस होगा।

भारत के गगनयान मिशन का महत्व (Gaganyaan Mission Significance)

गगनयान मिशन 2018 में भारत सरकार द्वारा घोषित और स्वीकृत एक अंतरिक्ष योजना है। गगनयान इसरो द्वारा बनाया गया एक अंतरिक्ष यान है, जिसमें इसरो तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजेगा, जिसमें व्योमित्र नाम की एक महिला रोबोट भी शामिल है। यह 5-7 दिनों के लिए 300-400 किमी की ऊंचाई पर पृथ्वी की निचली कक्षा में चक्कर लगाएगा और सुरक्षित वापस लौट आएगा। गगनयान के 2023-24 में लॉन्च होने की उम्मीद है।

• यह हमारे देश (भारत) में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के स्तर को बढ़ाने में मदद करेगा और युवाओं को प्रेरित करने में मदद करेगा।

• गगनयान प्रोजेक्ट के विकास में कई एजेंसियां, प्रयोगशालाएं, निजी उद्योग और विभाग शामिल हैं।

• यह अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बेहतर बनाने में मदद करेगा। कई देशों द्वारा स्थापित एक अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) भविष्य के लिए पर्याप्त नहीं हो सकता है। विकास के लिए क्षेत्रीय सहयोग तंत्र यानी रीजनल इकोसिस्टम की आवश्यकता होगी और गगनयान क्षेत्रीय जरूरतों पर ध्यान केंद्रित करेगा, जैसे: भोजन, पानी और ऊर्जा सुरक्षा।

• यह सामाजिक लाभ के लिए प्रौद्योगिकी के विकास में मदद करेगा।

• यह औद्योगिक विकास के सुधार में मदद करेगा। साल 2021 में अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी संस्थानों की भागीदारी बढ़ाने के लिए एक नए संगठन, IN-SPACe (Indian National Space Promotion and Authorisation Centre), को घोषित किया गया था। ये भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग के तहत एक सिंगल विंडो ऑटोनोमॉस (स्वायत्त) एजेंसी है।

• भारत के अन्य आगामी अंतरिक्ष मिशन के लिए मजबूत आधार तैयार करेगा।

• इस सफल प्रक्षेपण के साथ ही भारत अमेरिका, रूस और चीन के बाद मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन शुरू करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा।

• यह इसरो द्वारा अब तक का सबसे महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष कार्यक्रम है और यह देश के भीतर विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास को बढ़ावा देगा, साथ ही युवाओं और स्टार्ट-अप को बड़ी चुनौतियों का सामना करने और देश की प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए प्रेरित करेगा।

भारत के लिए गगनयान मिशन का क्या महत्व है (What is the Importance of Gaganyaan for India)

गगनयान मिशन महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पहला भारतीय स्वदेशी मिशन है जो भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजेगा। यदि यह स्पेस मिशन सफल होता है, तो भारत अंतरिक्ष में मानव भेजने वाला विश्व का चौथा देश होगा, अन्य तीन देश अमेरिका, रूस और चीन होंगे।

गगनयान मिशन का इतिहास (History of Gaganyaan Mission)

गगनयान का प्रारंभिक अध्ययन और तकनीकी विकास का काम साल 2006 में सामान्य नाम “ऑर्बिटल व्हीकल” के तहत शुरू हुआ। जिसमें अंतरिक्ष में लगभग एक सप्ताह तक टिके रहने, दो अंतरिक्ष यात्रियों की क्षमता और पृथ्वी पर पुन: प्रवेश के बाद एक स्पलैशडाउन लैंडिंग के साथ एक साधारण कैप्सूल को डिजाइन करने की योजना थी।

उस समय इस परियोजना को 2007 में लगभग ₹10,000 करोड़ के बजट के साथ 2024 तक पूरा होने की उम्मीद के साथ चालू किया गया था। इसरो द्वारा मार्च 2008 तक डिजाइन को अंतिम रूप दे दिया गया था और वित्त पोषण (फंडिंग) के लिए भारत सरकार को प्रस्तुत किया गया। इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर विचार करने के बाद, देश के पहले भारतीय मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम के लिए फरवरी 2009 में सरकारी फंडिंग को मंजूरी दी गई थी। लेकिन सीमित विकास निधि के कारण यह राशि आवश्यकता से कम थी।

प्रारंभ में, ऑर्बिटल व्हीकल की पहली बिना चालक दल वाली उड़ान 2013 में प्रस्तावित थी, फिर इसे साल 2016 में संशोधित किया गया था। हालांकि, अप्रैल 2012 में यह बताया गया था कि धन संबंधी समस्याओं ने परियोजना के भविष्य को गंभीर संदेह में डाल दिया था। अगस्त 2013 में यह घोषणा की गई थी कि भारत द्वारा चालक दल के सभी स्पेसफ्लाइट प्रयासों को “इसरो की प्राथमिकता सूची से बाहर” के रूप में नामित किया गया था। परंतु साल 2014 की शुरुआत में इस परियोजना पर पुनर्विचार किया गया था और फरवरी 2014 में घोषित पर्याप्त बजट वृद्धि के कारण इस स्पेस प्रोजेक्ट को सबसे अधिक लाभ हुआ था।

ISRO गगनयान ऑर्बिटल व्हीकल को विकसित कर रहा है, जो उनके 550 किलोग्राम के स्पेस कैप्सूल रिकवरी एक्सपेरिमेंट (SRE) के साथ किए गए परीक्षणों पर आधारित है, जिसे जनवरी 2007 में लॉन्च किया गया था और रिकवर किया गया था।

प्रथम भारतीय मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम के लिए प्रमुखता से सहयोग 2017 में नई NDA सरकार से मिला था, और इसे प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2018 के स्वतंत्रता दिवस के दौरान राष्ट्र को संबोधित करते हुए औपचारिक रूप से स्वीकार किया गया था। मौजूदा गगनयान डिज़ाइन में तीन लोगों के दल को स्पेस में भेजने की व्यवस्था है।

गगनयान मिशन के दौरान इसरो माइक्रोग्रैविटी से संबंधित चार बायोलॉजिकल और दो फिजिकल साइंस के एक्सपेरिमेंट करेगा। इसरो गगनयान मिशन पर ग्रीन प्रोपेलेंट के लिए हाइड्राज़ीन को बदलने की योजना बना रहा है, जिसके लिए लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर (LPSC) पहले से ही हाइड्रॉक्सीलेमोनियम नाइट्रेट (एचएएन), अमोनियम नाइट्रेट, मेथनॉल और पानी से युक्त एक मोनोप्रोपेलेंट मिश्रित फॉर्मूलेशन पर काम कर रहा है।

अक्टूबर 2021 तक, ISRO ने पांच विज्ञान प्रयोगों का चयन किया जो मिशन गगनयान पर किए जाएंगे। गगनयान पेलोड, भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान (IIST), कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, धारवाड़ (UASD), टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR), IIT पटना, भारतीय रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान (IICT) और उन्नत वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए जवाहरलाल नेहरू केंद्र (JNCASR) द्वारा विकसित किया जाएगा। पांच में से दो जैविक प्रयोग हैं जो आईआईएसटी, यूएएसडी और टीआईएफआर द्वारा संचालित किए जाएंगे, जिसमें किडनी में पथरी बनना और ड्रोसोफिला मेलानोगास्टर में सिर्टुइन 1 जीन मार्कर प्रभाव शामिल होंगे।

उसके आलावा, IIT पटना एक हीट सिंक पर प्रयोग चलाएगा जो बहुत अधिक गर्मी प्रवाह को संभाल सकता है, IICT क्रिस्टलीकरण घटना का अध्ययन करेगा और JNCASR द्रव मिश्रण विशेषताओं की जांच करेगा।

इसरो (ISRO) क्या है (What is ISRO)

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) भारत की राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी है, जिसका मुख्यालय बैंगलोर में है।

इसरो (ISRO) का फुल फॉर्म क्या होता है (What is the full form of ISRO)

इंडिया की राष्ट्रीय स्पेस एजेंसी इसरो (ISRO) का फुल फॉर्म – इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाइजेशन (Indian Space Research Organization) होता है। भारत के अंतरिक्ष विभाग का सचिवालय और इसरो का मुख्यालय बंगलौर में अंतरिक्ष भवन में स्थित है।

इसरो का गगनयान मिशन क्या है (What is ISRO’s Gaganyaan Mission)

गगनयान पहला भारतीय मानवयुक्त अंतरिक्ष यान है। इसरो का यह अंतरिक्ष कैप्सूल तीन लोगों को ले जाने के लिए तैयार किया गया है। अपनी पहली मानवयुक्त मिशन में, यह 3.7 टन का कैप्सूल तीन व्यक्ति दल के साथ सात दिनों के लिए 400 किमी की ऊंचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा करेंगे। भविष्य में इसका उन्नत संस्करण डॉकिंग क्षमता से लैस किया जाएगा। मिशन पूरा होने का बाद यह वापस धरती पर आ जाएगा।

इसरो में एचएसएफसी क्या है (What is HSFC in ISRO)

HSFC का मतलब मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र (ह्यूमन स्पेस फ्लाइट सेंटर) है। यह ह्यूमन स्पेस फ्लाइट सेंटर (एचएसएफसी) मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम के तहत गगनयान की पहली विकास उड़ान को पूरा करने के लिए मौजूदा इसरो केंद्रों को मदद करेगा।

ह्यूमन स्पेस फ्लाइट सेंटर (एचएसएफसी) का प्राथमिक उद्देश्य समन्वित प्रयासों के माध्यम से इसरो के गगनयान कार्यक्रम का नेतृत्व करना और मिशन को पूरा करने की दिशा में अन्य इसरो केंद्रों, भारत में अनुसंधान प्रयोगशालाओं, भारतीय शिक्षा और उद्योगों में की जाने वाली सभी गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करना है।

मानव अंतरिक्ष उड़ान गतिविधियों के प्रमुख केंद्र के रूप में HSFC नई प्रौद्योगिकी क्षेत्रों, जैसे जीवन समर्थन प्रणाली, मानव कारक इंजीनियरिंग, बायोएस्ट्रोनॉटिक्स, चालक दल प्रशिक्षण और मानव रेटिंग और प्रमाणन में अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों को करने में विश्वसनीयता और मानव सुरक्षा के उच्च मानकों के अनुरूप है।

ये क्षेत्र भविष्य में निरंतर मानव अंतरिक्ष उड़ान गतिविधियों जैसे मिलन स्थल और डॉकिंग, अंतरिक्ष स्टेशन निर्माण और चंद्रमा / मंगल और निकट-पृथ्वी क्षुद्रग्रहों के लिए इंटरप्लेनेटरी सहयोगी मानवयुक्त मिशनों के लिए महत्वपूर्ण घटक होंगे।

गगनयान “व्योममित्र” क्या है (What is Gaganyaan “Vyommitra”)

व्योम मित्रा, गगनयान के लिए लेडी रोबोट: व्योममित्र (Vyommitra) एक महिला की तरह दिखने वाला अंतरिक्ष यान ह्यूमनॉइड रोबोट है। जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा गगनयान अंतरिक्ष यान पर कार्य करने के लिए विकसित किया जा रहा है। व्योमित्र का पहली बार 22 जनवरी 2020 को बेंगलुरु में ह्यूमन स्पेसफ्लाइट एंड एक्सप्लोरेशन सिम्पोजियम में अनावरण किया गया था। अधिक जानकारी के लिए इसे पढ़ें: व्योमित्र क्या है?

कैसे पूरा हुआ गगनयान प्रोजेक्ट (How was the Gaganyaan Project Completed)

इसरो द्वारा इस मिशन को पूरा करने के लिए अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के पास उपलब्ध अत्याधुनिक तकनीकों के साथ-साथ घरेलू विशेषज्ञता, भारतीय उद्योग के अनुभव, भारतीय शिक्षाविदों और अनुसंधान संस्थानों के साथ सहयोग और रणनीति के माध्यम से परियोजना को पूरा किया गया है।

इस स्पेस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए कई तकनीकों का विकास किया गया है। गगनयान मिशन के लिए पूर्व आवश्यकताओं में अंतरिक्ष में चालक दल को सुरक्षित रूप से ले जाने के लिए मानव रेटेड लॉन्च वाहन सहित कई महत्वपूर्ण तकनीकों का विकास, अंतरिक्ष में चालक दल को पृथ्वी जैसा वातावरण प्रदान करने के लिए लाइफ सपोर्ट सिस्टम, चालक दल के आपातकालीन बचाव प्रावधान और प्रशिक्षण के लिए चालक दल प्रबंधन पहलुओं को विकसित करना शामिल है।

गगनयान की वास्तविक मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन को पूरा करने से पहले प्रौद्योगिकी तैयारियों के स्तर को प्रदर्शित करने के लिए विभिन्न पूर्ववर्ती मिशनों की योजना बनाई गई है। इन प्रदर्शक मिशनों में इंटीग्रेटेड एयर ड्रॉप टेस्ट (IADT), पैड एबॉर्ट टेस्ट (PAT) और टेस्ट व्हीकल (TV) उड़ानें शामिल हैं। मानवयुक्त मिशन से पहले मानव रहित मिशनों में सभी प्रणालियों की सुरक्षा और विश्वसनीयता सिद्ध होगी।

LVM3 Rocket for the Launch of ISRO Gaganyaan Mission

इसरो द्वारा गगनयान मिशन के प्रक्षेपण के लिए किस लॉन्च व्हीकल का उपयोग किया जाएगा

गगनयान के प्रक्षेपण (लॉन्चिंग) के लिए उपयोग किया जाने वाला लॉन्च व्हीकल: इसरो द्वारा अपने सबसे विश्वसनीय, भारी लिफ्ट लॉन्चर – LVM3 रॉकेट की पहचान गगनयान मिशन के लॉन्च व्हीकल के रूप में की गई है। LVM3 रॉकेट अच्छी तरह से आजमाया हुआ, सक्षम और विश्वसनीय भारी लिफ्ट लॉन्चर है, इसी लिए इसका चुनाव किया गया है।

इसमें सॉलिड स्टेज (Solid Stage), लिक्विड स्टेज (Liquid Stage), और क्रायोजेनिक स्टेज (Cryogenic Stage) होते हैं। LVM3 प्रक्षेपण यान में सभी प्रणालियों को मानव रेटिंग आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए फिर से कॉन्फ़िगर किया गया है, और मानव रेटेड LVM3 नाम दिया गया है। इसरो (ISRO) द्वारा निर्मित HLVM3 ऑर्बिटल मॉड्यूल को 400 किमी की लक्षित लो अर्थ ऑर्बिट में लॉन्च करने में पूर्ण रूप से सक्षम होगा।

HLVM3 में क्रू एस्केप सिस्टम (CES) शामिल है जो क्विक एक्टिंग, हाई बर्न रेट सॉलिड मोटर्स के एक सेट द्वारा संचालित होता है जो यह सुनिश्चित करता है कि लॉन्च पैड पर या चढ़ाई चरण (Ascent Phase) के दौरान किसी भी आपात स्थिति में चालक दल के साथ क्रू मॉड्यूल को सुरक्षित दूरी पर ले जाया जाए।

ISRO Gaganyaan Mission Orbital Module

ऑर्बिटल मॉड्यूल क्या है (What is GaganYaan Mission Orbital Module)

गगनयान का ऑर्बिटल मॉड्यूल (ओएम) जो पृथ्वी की परिक्रमा करेगा, में क्रू मॉड्यूल (सीएम) और सर्विस मॉड्यूल (एसएम) शामिल हैं। ओएम (ऑर्बिटल मॉड्यूल) मानव सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पर्याप्त सुरक्षा उपकरणों के साथ अत्याधुनिक वैमानिकी प्रणालियों से सुसज्जित है।

ऑर्बिटल मॉड्यूल:

  • क्रू मॉड्यूल
  • सर्विस मॉड्यूल

क्रू मॉड्यूल (CM) क्रू के लिए अंतरिक्ष में पृथ्वी जैसे पर्यावरण के साथ रहने योग्य जगह है। यह थर्मल प्रोटेक्शन सिस्टम (TPS) के साथ प्रेशराइज्ड मैटेलिक इनर स्ट्रक्चर और अनप्रेशराइज्ड एक्सटर्नल स्ट्रक्चर से युक्त डबल वॉल्ड कंस्ट्रक्शन है। इसमें क्रू इंटरफेस, मानव केंद्रित उत्पाद, लाइफ सपोर्ट सिस्टम, एवियोनिक्स और डेक्लेरेशन सिस्टम हैं। लैंडिंग तक उतरने के दौरान चालक दल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इसे पुन: प्रवेश के लिए भी डिज़ाइन किया गया है।

ऑर्बिट में क्रू मॉड्यूल (CM) को आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए सर्विस मॉड्यूल (SM) का उपयोग किया जाएगा। यह थर्मल सिस्टम, प्रोपल्शन सिस्टम, पावर सिस्टम, एवियोनिक्स सिस्टम और डेप्लॉयमेंट मैकेनिज्म युक्त एक अनप्रेशराइज्ड स्ट्रक्चर (Unpressurized Structure) है।

गगनयान के लिए नई तकनीकों का विकास (New Technologies Developed for Gaganyaan)

इसरो के गगनयान मिशन में मानव सुरक्षा सर्वोपरि है। इसे सुनिश्चित करने के लिए, इंजीनियरिंग प्रणालियों और मानव केंद्रित प्रणालियों से युक्त विभिन्न नई तकनीकों को विकसित और कार्यान्वित किया जा रहा है।

गगनयान मिशन के लिए क्रू ट्रेनिंग सेंटर की स्थापना (Crew Training Center for Gaganyaan)

गगनयान मिशन के लिए क्रू ट्रेनिंग सेंटर की स्थापना बेंगलुरु में की गई है। यहाँ स्थापित अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण सुविधा (Astronaut Training Facility) क्लासरूम ट्रेनिंग, फिजिकल फिटनेस ट्रेनिंग , सिम्युलेटर प्रशिक्षण, और फ्लाइट सूट ट्रेनिंग प्रदान करती है।

ट्रेनिंग मॉड्यूल में अकादमिक पाठ्यक्रम, गगनयान फ्लाइट सिस्टम, पैराबोलिक फ्लाइट्स के माध्यम से माइक्रो ग्रेविटी परिचय, ऐरो मेडिकल ट्रेनिंग, और रिकवरी एंड सर्वाइवल ट्रेनिंग, उड़ान प्रक्रियाओं में महारत हासिल करना और चालक दल प्रशिक्षण, सिमुलेटर पर प्रशिक्षण शामिल हैं। इसके अतिरिक्त प्रशिक्षण के हिस्से के रूप में एयरो मेडिकल प्रशिक्षण, पेरिओडिकल उड़ान अभ्यास और योग भी शामिल हैं।

गगनयान मिशन के अंतरिक्ष यात्रियों के लिए प्रशिक्षण (Training for Astronauts of Gaganyaan Mission)

• इसरो द्वारा इस मिशन के लिए चुने गए भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को तैयार करने के लिए रोस्कोस्मोस ( ROSCOSMOS) (रूसी अंतरिक्ष एजेंसी) की सहायक गावकोस्मोस नामक कंपनी के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं।

• इसके लिए सभी उम्मीदवार अंतरिक्ष यात्री भारतीय वायु सेना के पायलट हैं। वायुसेना ने करीब 25 पायलटों में से इन्हें शॉर्टलिस्ट किया था।

• इस मिशन के लिए सेलेक्टेड चार अंतरिक्ष यात्री रूस में चिकित्सा और शारीरिक प्रशिक्षण लेकर वापस भारत आ चुके हैं, इसके अलावा उन्हें बेसिक रूसी भाषा का ज्ञान भी दिया गया है, जिसे अंतरिक्ष संचार की महत्वपूर्ण भाषाओं में से एक माना जाता है।

• गगनयान में 3 अंतरिक्ष यात्री भेजे जाएंगे।

• मिशन गगनयान का प्रशिक्षण कठिन होगा क्योंकि उन्हें गुरुत्वीय परिवर्तनों (gravitational changes) के अभ्यस्त होना होगा जो शारीरिक परिवर्तनों का कारण बनेंगे।

• रूस में लगभग एक साल के लिए प्रशिक्षण पूरा करने के बाद फिलहाल अंतरिक्ष यात्री भारत में मॉड्यूल-विशिष्ट प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे है ।

• अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष उड़ान के दौरान जी-फोर्स, हाइपोक्सिया और प्रेशर ड्रॉप्स जैसी स्थितियों के लिए तैयार करने के लिए एक सेंट्रीफ्यूज और एक हाइपरबेरिक चैम्बर ((pressurized room)) में सिमुलेशन में प्रशिक्षित किया जाएगा।

• अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण (ग्रेविटी) में बदलाव से ब्लड प्रेशर में उतार-चढ़ाव हो सकता है, विशेष रूप से पृथ्वी पर फिर से प्रवेश करने या लैंडिंग के दौरान, और यहां तक कि कभी-कभी बेहोशी भी हो सकती है। अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भारहीनता का अनुभव करते हुए मोशन सिकनेस का भी सामना करना पड़ सकता है। इसके लिए उन्हें पहले से तैयार किया जा रहा हैं।

गगनयान के लिए इसरो रिकवरी ट्रायल (ISRO Recovery Trial for Gaganyaan)

हाल ही में, इसरो ने गगनयान मिशन के लिए रिकवरी ट्रायल किया है। इस मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन का अंतिम चरण क्रू रिकवरी है। गगनयान मिशन के लिए, भारतीय नौसेना के नेतृत्व में विभिन्न एजेंसियों द्वारा भारतीय समुद्र में एस्ट्रोनॉट की रिकवरी की जाएगी। इसलिए इसरो ने भारतीय नौसेना के साथ कोच्चि (केरल) में वाटर टेस्ट सर्वाइवल फैसिलिटी में मिशन के लिए स्पेसक्राफ्ट का रिकवरी परीक्षण किया है।

चूंकि क्रू रिकवरी एक महत्वपूर्ण घटना है, इसे बिना किसी चूक के बहुत तेज़ी से एक निश्चित समय के भीतर आयोजित करने की आवश्यकता है। इस प्रकार इसके लिए व्यापक परीक्षण, मानक संचालन प्रक्रियाओं की तैयारी और अंतिम रूप देने की आवश्यकता है ताकि सभी को पता चले कि प्रक्रिया में उनकी भूमिका क्या है।

डब्ल्यूएसटीएफ क्या है (What is WSTF)

WSTF (Water Survival Test Facility) भारतीय नौसेना की एक अत्याधुनिक सुविधा है जो विभिन्न अनुरूपित स्थितियों जैसे खराब मौसम और क्रैश परिदृश्यों के तहत खाई में फंसे विमान से बचने के लिए एयरक्रू को वास्तविक प्रशिक्षण प्रदान करती है।

गगनयान मिशन में इसरो के साथ कौन-कौन सी भारतीय एजेंसियां सहयोग कर रही हैं (Which Indian agencies are collaborating with ISRO in Gaganyaan Mission)

• डिफेंस रिसर्च डेवलपमेंट आर्गेनाईजेशन

• इंडियन आर्म्ड फाॅर्स

• सीएसआईआर लैब्स

• शैक्षणिक संस्थान

• भारतीय मौसम विभाग

• इंडस्ट्रीज

• भारतीय समुद्री एजेंसियां: इंडियन नेवी, इंडियन कोस्ट गार्ड, शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशनोग्राफी, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी।

भारत के अन्य आगामी अंतरिक्ष मिशन (Other Upcoming Space Missions of India)

1) एल-1 आदित्य सोलर (2023-24 के लिए):
यह सूर्य का अध्ययन करने वाला भारत का पहला वैज्ञानिक अभियान है।
एस्ट्रोसैट के बाद यह इसरो का दूसरा अंतरिक्ष-आधारित खगोल विज्ञान मिशन होगा, जिसे 2015 में लॉन्च किया गया था।

2) चंद्रयान-3 मिशन (2023-24 के लिए):
चंद्रयान -3, चंद्रयान -2 मिशन का उत्तराधिकारी है, जिसमें “विभिन्न प्रक्रियाएं शामिल हैं, जिसमें कॉन्फ़िगरेशन को अंतिम रूप देना, सबसिस्टम की प्राप्ति, एकीकरण, अंतरिक्ष यान स्तर का विस्तृत परीक्षण और पृथ्वी पर सिस्टम के प्रदर्शन का मूल्यांकन करने के लिए कई विशेष परीक्षण शामिल हैं।

3) शुक्रयान शुक्र मिशन (2023 के लिए):
शुक्रयान ऑर्बिटर इसरो द्वारा शुक्र के लिए पहला मिशन होगा और चार साल तक अंतरिक्ष ग्रह का अध्ययन करेगा।

FAQ: गगनयान मिशन क्या है, इसके बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Q. भारत का गगनयान मिशन क्या है?

Ans. गगनयान मिशन एक भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का मिशन है जिसका उद्देश्य 2024 तक पांच से सात दिनों के लिए तीन व्यक्तियों के चालक दल को अंतरिक्ष में भेजना है। ‘गगनयान’ शब्द संस्कृत के अर्थ स्काई व्हीकल से लिया गया है। गगनयान मिशन में लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) के लिए मानव अंतरिक्ष यान के प्रदर्शन की परिकल्पना की गई है।

Q. गगनयान कब लॉन्च किया जाएगा?

Ans. वर्ष 2024 में। भारत का पहला क्रू मिशन मूल रूप से दिसंबर 2021 में ISRO के LVM3 पर लॉन्च करने की योजना थी, लेकिन लॉकडाउन के कारण इसमें देरी हुई और अब यह 2024 में लॉन्च होगा।

Q. गगनयान के लिए किस प्रक्षेपण यान (लॉन्च व्हीकल) का उपयोग किया जाएगा?

Ans. इसरो के गगनयान को लॉन्च करने के लिए जीएसएलवी एमके III (GSLV Mk III), तीन-चरण भारी लिफ्ट लॉन्च वाहन (3 stage heavy lift launch vehicle) का उपयोग किया जाएगा।

Q. गगनयान में कितने अंतरिक्ष यात्री भेजे जाएंगे?

Ans. इसरो द्वारा निर्मित और संचालित गगनयान स्पेसक्राफ्ट का उद्देश्य 3 इंडियन अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस में लो अर्थ ऑर्बिट (Low Earth Orbit) में भेजना है, यानी की उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी की निचली कक्षा में लेकर जाना और वापस पृथ्वी पर लेकर आना हैं। गौरतलब है कि गगनयान की लॉन्चिंग साल 2024 में होगी।

Q. गगनयान मिशन की सफलता के बाद भारत क्या मुकाम हासिल करेगा?

Ans. यदि गगनयान मिशन सफलतापूर्वक भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा में ले जाता है और सुरक्षित रूप से वापस लौटता है, तो यह भारत को अमेरिका, रूस और चीन के बाद मानव अंतरिक्ष यान क्षमता वाला चौथा देश बना देगा।

Q. इसरो न्यू ह्यूमनॉइड रोबोट का नाम क्या है जो अंतरिक्ष में जाएगा?

Ans. इसरो द्वारा इस रोबोट का नाम ‘व्‍योमम‍ित्रा’ रखा गया है। इस रोबोट को मानवरहित गगनयान में अं​तरिक्ष में भेजा जाएगा। इसरो ने बताया कि ह्यूमनॉइड ‘व्‍योमम‍ित्रा’ रोबोट सभी लाइव ऑपरेशन करने में सक्षम है। इसका निर्माण साल 2020 में क्या गया था।

Q. गगनयान मिशन में भारत की मदद कौन-कौन से देश कर रहे है?

Ans. इस अंतरिक्ष मिशन में फ्रांस और रूस जैसे देश भारत की मदद कर रहे हैं। इसके लिए इंडियन स्पेस एजेंसी इसरो ने फ्रांस और रूस की अंतरिक्ष एजेंसियों के साथ भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन, गगनयान के सहयोग के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। रूस ने जहाँ भारतीय एस्ट्रोनॉट को रूस में बेसिक ट्रेनिंग दी है। जबकि अंतरिक्ष चिकित्सा के लिए फ्रांस के पास एक अनुभवी और सुस्थापित तंत्र मौजूद है। इसमें CNES की सहायक कंपनी MEDES अंतरिक्ष क्लिनिक भी है, जहाँ अंतरिक्ष सर्जन प्रशिक्षण लेते हैं।

Q. गगनयान की कीमत क्या है?

Ans. गगनयान मिशन को पूरा करने में करीब 10 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। इस प्रोजेक्ट की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2018 में की थी। कोविड महामारी के कारण इसमें भी देरी हुई है, ऐसे में इस पर 10,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च होने की संभावना है।

Q. गगनयान के इंजन का क्या नाम है?

Ans. गगनयान स्पेसक्राफ्ट के लिए क्रायोजेनिक इंजन का उपयोग किया जाएगा। इस क्रायोजेनिक इंजन का परीक्षण इसरो ने ISRO Propulsion Complex (IPRC), महेंद्रगिरी, तमिलनाडु में सफलतापूर्वक कर लिया है।

Q. गगनयान कार्यक्रम क्या है?

Ans. गगनयान प्रोग्राम में अल्पावधि में पृथ्वी की निचली कक्षा (एलईओ) में मानव अंतरिक्ष उड़ान के प्रदर्शन की योजना है और यह दीर्घावधि में एक सतत भारतीय मानव अंतरिक्ष अन्वेषण कार्यक्रम की नींव रखेगा।

Q. गगनयान कार्यक्रम के लक्ष्य/ उद्देश्य क्या हैं?

Ans. गगनयान का उद्देश्य LEO के लिए मानव अंतरिक्ष यान मिशन शुरू करने के लिए पूरी तरह से स्वदेशी क्षमता का विकास और सफलतापूर्वक प्रदर्शन करना है। भारत सरकार द्वारा अनुमोदित कार्यक्रम के दो भाग हैं, जिसमें दो मानव रहित मिशन और एक मानवयुक्त मिशन शामिल है।

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