इसरो (ISRO RLV-TD) ‘रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल’ क्या है | What is ISRO RLV In Hindi

ISRO RLV-TD क्या है: इसरो आरएलवी-टीडी लेक्स फुल फॉर्म, परीक्षण, महत्त्व, आदि जानकारी हिंदी में। (ISRO’s Reusable Launch Vehicle, RLV in Hindi, RLV TD UPSC, RLV-TD LEX Full Form)

भारत का प्रयास एक ऐसा अंतरिक्ष विमान बनाने का है जो कि एक रीयूजेबल स्पेस लॉन्च व्हीकल सिस्टम क्षमता से लैस हो। हाल ही में ISRO ने रियूजेबल लॉन्च व्हीकल लैंडिंग मिशन (RLV LEX) का सफलतापूर्वक संचालन किया है। 2 अप्रैल 2023 को भारतीय विज्ञान के लिए एक प्रमुख मील का पत्थर साबित हुआ जब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सफलतापूर्वक अपने पुन: उपयोग की पहली स्वायत्त लैंडिंग की।

आरएलवी कार्यक्रम एक गेम-चेंजर है क्योंकि यह उपग्रहों और अन्य अंतरिक्ष यान को कक्षा में लॉन्च करने की लागत को काफी कम कर सकता है। रियूजेबल लॉन्च व्हीकल का सक्सेसफुल टेस्ट ISRO को मिली एक बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि उनका रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल का टेस्ट सफल रहा है। ये परीक्षण 2 अप्रैल, 2023 को तड़के एरोनॉटिकल टेस्ट रेंज (एटीआर), चित्रदुर्ग, कर्नाटक में आयोजित किया गया था।

What is ISRO RLV In Hindi

Table of Contents

इसरो का ‘रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल’ (RLV) प्रोजेक्ट क्या है (What is ISRO’s RLV Project)

ISRO RLV LEX:

आरएलवी टीडी (RLV-TD) विशेषताएं (फीचर्स)
निर्माताइसरो (ISRO) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन
RLV TD फुल फॉर्मReusable Launch Vehicle Technology Demonstration
लॉन्च की तारीख23 मई 2016 भारतीय समयानुसार सुबह 7 बजे
अधिकतम स्पीड5,902 किमी/घंटा
ऊंचाई~16 मीटर (52 फीट) (लंबाई: 6.5 मीटर (21 फीट) (ऑर्बिटर)
स्टेटसRLV प्रोटोटाइप का परीक्षण
फंक्शनटेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेशन व्हीकल
फर्स्ट फ्लाइट01:30 UTC, 23 मई 2016
नवीनतम उड़ान परीक्षणपरीक्षण 2 अप्रैल, 2023 को एरोनॉटिकल टेस्ट रेंज (एटीआर), चित्रदुर्ग, कर्नाटक में आयोजित किया गया था।
ISRO RLV In Hindi

Reusable Launch Vehicle Technology: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अनुसार, अंतरिक्ष में लॉन्चिंग के लिए रियूजेबल लॉन्च व्हीकल के विकास के लिए कई एक्सपेरिमेंट्स की श्रृंखला आयोजित की जा रही है। ऐसा प्रयास इस लिए किया जा रहा है ताकि भविष्य में अंतरिक्ष में कम लागत वाले स्पेस मिशन के लिए पुन: इस्तेमाल के योग्य आवश्यक प्रौद्योगिकियों को विकसित किया जा सके।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की ओर स्पेस लॉन्च शटल ‘रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल’ (RLV-TD) का लैंडिंग एक्सपेरिमेंट (LEX) (जमीन पर उतारने का प्रयोग) सफल हुआ है। भविष्य में, इस स्पेस व्हीकल को भारत के रियूजेबल दो-चरण कक्षीय (TSTO: two stage orbital) लॉन्च व्हीकल का पहला चरण बनने के लिए इसे तैयार कर इसका उपयोग किया जाएगा।

आरएलवी-टीडी (RLV-TD) का फुल फॉर्म क्या है (RLV-TD Full Form)

RLV-TD का फुल फॉर्म ‘रियूजेबल लॉन्च व्हीकल टेक्नोलॉजी डेमोन्सट्रेशन’ (Reusable Launch Vehicle Technology Demonstration) है।

RLV-LEX का फुल फॉर्म क्या है

RLV-LEX का फुल फॉर्म ‘रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल’ (RLV-TD) का लैंडिंग एक्सपेरिमेंट (LEX) (जमीन पर उतारने का प्रयोग) है।

फीचर्स एंड एप्लीकेशन:

• इसरो का RLV-TD एक अंतरिक्ष विमान की तरह दिखता है। इसमें एक फ्यूजलेज, एक नोज़ कैप, डबल डेल्टा विंग्स और ट्विन वर्टिकल टेल्स होते हैं।

• इसरो द्वारा RLV-TD का उपयोग हाइपरसोनिक फ़्लाइट (HEX), ऑटोनॉमस लैंडिंग (LEX), रिटर्न फ़्लाइट एक्सपेरिमेंट (REX), पावर्ड क्रूज़ फ़्लाइट और स्क्रैमजेट प्रोपल्शन एक्सपेरिमेंट (SPEX) जैसी तकनीकों को विकसित करने के लिए किया जाएगा।

आरएलवी-टीडी (RLV-TD) का महत्व:

• रियूजेबल लॉन्च व्हीकल (आरएलवी) का उपयोग करके लॉन्च की लागत को वर्तमान लागत का लगभग 80% कम किया जा सकता है।

• अंतरिक्ष एक्सप्लोरेशन में उच्च लागत एक प्रमुख बाधा है ऐसे में स्पेस में पहुँचने के लिया रियूजेबल लॉन्च व्हीकल का विकास करके अंतरिक्ष तक पहुँचने का कार्य कम ख़र्च में किया जा सकता हैं।

• अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने कहा है कि दुनिया में पहली बार किसी स्पेस लॉन्च व्हीकल को हेलीकॉप्टर द्वारा 4.5 किमी की ऊंचाई तक ले जाया गया है और रनवे पर स्वायत्त लैंडिंग के लिए छोड़ा गया है।

RLV-TD से संबंधित पूर्व में किए गए अन्य एक्सपेरिमेंट:

आरएलवी-टीडी (RLV TD)का पहली बार 23 मई, 2016 को श्रीहरिकोटा से सफलतापूर्वक उड़ान परीक्षण किया गया था, जिसमें ऑटोनोमस नेविगेशन, गाइडेंस और नियंत्रण, रियूजेबल थर्मल सुरक्षा प्रणाली और पुन: प्रवेश मिशन प्रबंधन जैसी महत्वपूर्ण तकनीकों को मान्य किया गया था।

• इसरो ने इससे पहले मई 2016 में अपने हेक्स मिशन में अपने स्पेस लांच व्हीकल आरएलवी-टीडी के री-एंट्री का प्रदर्शन किया था।

• RLV हेक्स में, रियूजेबल स्पेस लॉन्च व्हीकल बंगाल की खाड़ी के ऊपर वह एक काल्पनिक रनवे पर उतरा था। उस समय रनवे पर सटीक लैंडिंग एक्सपेरिमेंट को हेक्स मिशन में शामिल नहीं किया गया था।

• लेक्स मिशन एक्सपेरिमेंट ने अंतिम उद्देश्य को हासिल किया था, जिसने एक ऑटोनोमस, उच्च गति (350 किमी प्रति घंटे) लैंडिंग प्रदर्शित करने वाले पुन: प्रवेश वापसी उड़ान पथ के साथ अपने सभी उद्देश्यों को पूरा किया था।

RLV के एक्सपेरिमेंट की लोकेशन:

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी (ISRO) ने कर्नाटक के चित्रदुर्ग (Chitradurga) जिले में चल्लकेरे (Challakere) में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के एरोनॉटिकल टेस्ट रेंज में ‘रियूजेबल लॉन्च व्हीकल ऑटोनोमॉस लैंडिंग मिशन (RLV LEX)’ का संचालन किया था।

लैंडिंग एक्सपेरिमेंट:

एक भारतीय वायु सेना (IAF) के चिनूक हेलीकॉप्टर का उपयोग RLV-TD को 4.5 किमी की ऊंचाई से गिराने के लिए किया गया था और इसरो ने योजना के अनुसार RLV-TD के लैंडिंग प्रयोग को अंजाम दिया। यह पूरी तरह से स्वायत्त लैंडिंग थी और एकीकृत नेविगेशन, मार्गदर्शन और नियंत्रण प्रणाली का उपयोग कर हवाई पट्टी पर एक सफ़ल स्वायत्त लैंडिंग पूरी की थी।

रियूजेबल लॉन्च व्हीकल टेक्नोलॉजी डेमोन्सट्रेशन ऑब्जेक्टिव:

इसका मुख्य उद्देश्य RLV प्रौद्योगिकी में महारत हासिल करके अंतरिक्ष में कम लागत में पहुंच प्राप्त करना है।

इसरो द्वारा विकसित आरएलवी टीडी क्या है (What is RLV-TD as developed by ISRO)

ISRO का रियूजेबल लॉन्च वाहन मिशन: RLV ने 2 अप्रैल, 2023 IST को भारतीय वायु सेना के एक चिनूक हेलीकॉप्टर द्वारा अंडरस्लंग लोड के रूप में उड़ान भरी और 4.5 किमी (MSL से ऊपर) की ऊंचाई तक उड़ान भरी। आरएलवी के मिशन प्रबंधन कंप्यूटर कमांड के आधार पर एक बार पूर्व निर्धारित पिलबॉक्स पैरामीटर प्राप्त हो जाने के बाद, आरएलवी को मध्य हवा में 4.6 किमी की डाउन रेंज में छोड़ा गया था।

रिलीज की स्थिति में स्थिति, वेग, ऊंचाई और बॉडी रेट आदि को कवर करने वाले 10 पैरामीटर शामिल थे। आरएलवी की रिलीज ऑटोनोमॉस थी। RLV ने तब एकीकृत नेविगेशन, गाइडेंस और कंट्रोल सिस्टम का उपयोग करते हुए अप्रोच और लैंडिंग युद्धाभ्यास किया और 7:40 पूर्वाह्न IST पर ATR हवाई पट्टी पर एक ऑटोनोमस लैंडिंग पूरी की। इसके साथ ही इसरो ने अंतरिक्ष यान की स्वायत्त लैंडिंग सफलतापूर्वक की है।

ISRO RLV Test: दुनिया में पहली बार, एक विंगड बॉडी को एक हेलीकॉप्टर द्वारा 4.5 किमी की ऊंचाई तक ले जाया गया है और रनवे पर ऑटोनोमॉस लैंडिंग करने के लिए छोड़ा गया है। आरएलवी अनिवार्य रूप से एक अंतरिक्ष विमान (स्पेस प्लेन) है, जिसमें कम लिफ्ट टू ड्रैग रेश्यो होता है, जिसके लिए उच्च ग्लाइड कोणों पर एक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है, जिसके लिए 350 किमी प्रति घंटे के उच्च वेग पर लैंडिंग की आवश्यकता होती है।

लेक्स ने कई स्वदेशी प्रणालियों का उपयोग किया है। स्यूडोलाइट सिस्टम, इंस्ट्रूमेंटेशन और सेंसर सिस्टम आदि पर आधारित स्थानीयकृत नेविगेशन सिस्टम इसरो द्वारा विकसित किए गए थे। के-बैंड रडार अल्टीमीटर के साथ लैंडिंग साइट का डिजिटल एलिवेशन मॉडल (डीईएम) सटीक ऊंचाई की जानकारी प्रदान करता है। एक्सटेंसिव विंड टनल टेस्ट और सीएफडी सिमुलेशन ने उड़ान से पहले आरएलवी के एयरोडायनामिक लक्षण वर्णन को सक्षम किया। आरएलवी लेक्स के लिए विकसित समकालीन प्रौद्योगिकियों का अनुकूलन इसरो के अन्य परिचालन लॉन्च वाहनों को अधिक लागत प्रभावी और कम ख़र्चीला बनाता है।

RLV सुर्खियों में क्यों है (Why is RLV in news)

हाल ही में, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और उसके इस प्रोजेक्ट के सहयोगियों ने एरोनॉटिकल टेस्ट रेंज (एटीआर), चित्रदुर्ग, कर्नाटक में ‘दुबारा या पुन: इस्तेमाल के योग्य’ यानी की रियूजेबल लॉन्च व्हीकल (आरएलवी) के लिए एक सटीक लैंडिंग प्रयोग का सफलतापूर्वक तकनीकी प्रदर्शन किया है।

एक भारतीय वायु सेना (IAF) चिनूक हेलीकॉप्टर का उपयोग RLV-TD को 4.5 किमी की ऊंचाई से गिराने के लिए किया गया था और इसरो ने योजना के अनुसार RLV-TD के लैंडिंग प्रयोग को अंजाम दिया।

ISRO RLV TD की हालिया परीक्षण उड़ान में क्या परीक्षण किए गए (What tests were done in the recent test flight of ISRO RLV TD)

Reusable Launch Vehicle Autonomous Landing Mission (RLV LEX): स्पेस री-एंट्री व्हीकल की लैंडिंग की सटीक स्थितियों के तहत ऑटोनोमस लैंडिंग की टेस्टिंग की गई – जैसे कि हाई स्पीड, मानव रहित, उसी वापसी पथ से सटीक लैंडिंग – जैसे कि व्हीकल अंतरिक्ष से आता है। लैंडिंग पैरामीटर जैसे ग्राउंड रिलेटिव वेलोसिटी, लैंडिंग गियर्स की सिंक दर, और सटीक बॉडी रेट, जैसा कि इसके रिटर्न पथ में एक ऑर्बिटल री-एंट्री अंतरिक्ष यान (स्पेस व्हीकल) द्वारा अनुभव किया जा सकता है।

आरएलवी लेक्स ने सटीक नेविगेशन हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर, स्यूडोलाइट सिस्टम, का-बैंड रडार अल्टीमीटर, एनएवीआईसी रिसीवर, स्वदेशी लैंडिंग गियर, एयरोफिल हनी-कॉम्ब फिन्स और ब्रेक पैराशूट सिस्टम सहित कई अत्याधुनिक तकनीकों से लैस है जिनका सफ़लतापूर्वक परीक्षण कर लिया है।

आरएलवी का क्या उपयोग है (What is the use of RLV)

रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेशन का मुख्य उपयोग अंतरिक्ष में कम लागत वाले लॉन्च व्हीकल या स्पेस प्लेन का निर्माण करना है जिसका पुनः उपयोग किया जा सके। रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेशन के जरिए इसरो अंतरिक्ष में लॉन्चिंग की लागत या खर्च को कम करना चाहता हैं।

अंतरिक्ष में आरएलवी क्या है (What is RLV in space)

कॉन्फ़िगरेशन: आरएलवी-टीडी का कॉन्फ़िगरेशन एक विमान (एयरक्राफ्ट) के समान है और प्रक्षेपण यान और विमान दोनों की जटिलता को जोड़ती है। विंगड आरएलवी-टीडी को हाइपरसोनिक उड़ान, पूरी तरह से स्वायत्त (ऑटोनोमॉस) लैंडिंग और संचालित क्रूज उड़ान जैसी विभिन्न तकनीकों का मूल्यांकन करने के लिए उड़ान परीक्षण के रूप में कार्य करने के लिए कॉन्फ़िगर किया गया है। भविष्य में, इस स्पेस लॉन्चिंग व्हीकल को भारत के पुन: प्रयोग करने में सक्षम दो चरण कक्षीय प्रक्षेपण यान (रीयूजेबल टू स्टेज ऑर्बिटल लांच व्हीकल ) का पहला चरण बनने के लिए उपयोग किया जाएगा।

आरएलवी टीडी में क्या शामिल है (What is included in RLV TD)

आरएलवी-टीडी में एक फ्यूजलेज (बॉडी), एक नोज कैप, डबल डेल्टा विंग्स और ट्विन वर्टिकल टेल्स होते हैं। इसमें एलेवन्स और रूडर नामक सयंमेट्रिकली (symmetrically) रूप से सक्रिय नियंत्रण सतहों (एक्टिव कंट्रोल सरफेस) को भी शामिल किया गया है। कम जलने की दर (लो बर्न रेट) के लिए डिज़ाइन किए गए एक पारंपरिक सॉलिड बूस्टर (HS9) द्वारा टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर इस को मच संख्या: 5 (Mach no: 5) तक बढ़ाया गया था।

एक आरएलवी-टीडी के विकास और इसके पुर्जों (पार्ट्स) की क्राफ्टिंग के लिए विशेष मिश्र धातु (स्पेशल एलाय), कंपोजिट और इन्सुलेशन मेटेरियल जैसी सामग्रियों का चयन बहुत जटिल है और अत्यधिक कुशल मैनपावर की आवश्यकता होती है। इस व्हीकल के निर्माण में कई उच्च प्रौद्योगिकी मशीनरी और परीक्षण उपकरणों का उपयोग किया गया था।

ISRO RLV-TD का पहला परीक्षण लॉन्च कब हुआ था (When was the first launch of ISRO RLV-TD)

इसरो ने मई 2016 में एचईएक्स मिशन (HEX Mission ) में अपने विंगड व्हीकल आरएलवी-टीडी के माध्यम से अंतरिक्ष से पृथ्वी के ऑर्बिट में रीएंट्री का परीक्षण प्रदर्शन किया था। इसरो द्वारा निर्मित एक हाइपरसोनिक सब-ऑर्बिटल व्हीकल के पृथ्वी के वातावरण में सफ़ल पुन: प्रवेश ने पुन: उपयोग करने योग्य लॉन्च वाहनों को विकसित करने में एक बड़ी उपलब्धि को हासिल किया है। RLV हेक्स में, स्पेस लांच व्हीकल बंगाल की खाड़ी के ऊपर एक काल्पनिक रनवे पर उतरा था। क्योंकि उस समय रनवे पर सटीक लैंडिंग का प्रयास हेक्स मिशन में शामिल नहीं किया गया एक था।

परन्तु LEX मिशन 2019 में एक एकीकृत नेविगेशन परीक्षण के साथ शुरू हुआ और बाद के वर्षों में कई इंजीनियरिंग मॉडल परीक्षणों और कैप्टिव चरण परीक्षणों को सफ़लता के साथ पूरा किया। लेक्स मिशन ने अंतिम चरण में उस मुकाम को हासिल किया जो कि एक ऑटोनोमॉस, हाई स्पीड (350 किमी प्रति घंटे) लैंडिंग प्रदर्शित करने वाले पुन: प्रवेश रिटर्न फ्लाइट पथ के साथ RLV का 2 अप्रैल 2023 को सफ़लतापूर्वक परीक्षण किया था।

दोनों परीक्षणों में क्या अंतर था (Difference in the two tests)

इसरो के अनुसार, RLV-TD (HEX1) के साथ पहले परीक्षण में लांच व्हीकल को बंगाल की खाड़ी के ऊपर एक काल्पनिक रनवे पर उतरना शामिल था, जबकि हाल के LEX प्रयोग में रनवे पर एक सटीक लैंडिंग का एक्सपेरिमेंट शामिल था।

ISRO RLV LEX: परीक्षण की उपलब्धियां:

RLV-TD का 23 मई, 2016 को SDSC SHAR श्रीहरिकोटा से सफलतापूर्वक उड़ान परीक्षण किया गया था, जिसमें स्वायत्त नेविगेशन (autonomous navigation), मार्गदर्शन और नियंत्रण (guidance & control), पुन: प्रयोज्य थर्मल सुरक्षा प्रणाली (reusable thermal protection system) और पुन: प्रवेश मिशन प्रबंधन (re-entry mission management) जैसी महत्वपूर्ण तकनीकों को परखा गया था।

ISRO RLV LEX: पुन: प्रयोग हेतु लॉन्च वाहन का महत्व

एक रियूजेबल लॉन्च व्हीकल में अंतरिक्ष मिशनों से जुड़ी लागतों को काफी कम करने की क्षमता है। RLV विकसित करके, भारत का लक्ष्य अंतरिक्ष अन्वेषण को अधिक सुलभ और टिकाऊ बनाना है। सफल RLV LEX परीक्षण इस लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि यह रियूजेबल अंतरिक्ष यान के लिए आवश्यक तकनीकों को विकसित करने में भारत की प्रगति को प्रदर्शित करता है।

हमें आरएलवी टीडी की आवश्यकता क्यों है (Why do we need RLV TD)

रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल – टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेशन (आरएलवी-टीडी) इसरो के सबसे तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण कार्यों में से एक है। अंतरिक्ष में कम लागत में पहुंच को सक्षम करने के लिए इसरो एक रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल के लिए इस तरह की महत्वपूर्ण तकनीकों का विकास पिछले कई सालों से कर रहा है।

आरएलवी-टीडी (RLV-TD) के उद्देश्य (Objectives of RLV-TD):

  • इंटीग्रेटेड फ्लाइट मैनेजमेंट
  • थर्मल प्रोटेक्शन सिस्टम मूल्यांकन (इवैल्यूएशन)
  • विंग बॉडी का हाइपरसोनिक एयरो थर्मोडायनामिक कैरिक्टरिज़ेशन
  • ऑटोनोमॉस नेविगेशन, गाइडेंस और कंट्रोल (एनजीसी) योजनाओं का मूल्यांकन

इसरो RLV लेक्स मिशन में मुख्य योगदान (Main contribution to ISRO RLV LEX Mission)

• इसरो के साथ, अन्य इंस्टीटूशन्स जैसे IAF, CEMILAC, ADE और ADRDE ने इस परीक्षण में योगदान दिया है । आईएएफ टीम ने प्रोजेक्ट टीम के साथ हाथ मिलाया और RLV के सफ़ल रिलीज़ की की उपलब्धि को पूरा करने के लिए कई सॉर्टियां आयोजित की गईं।

• इस प्रोजेक्ट में मुख्य रूप से डॉ. एस उन्नीकृष्णन नायर, निदेशक, वीएसएससी, और श्री श्याम मोहन एन, कार्यक्रम निदेशक, एटीएसपी ने रिसर्च टीमों का मार्गदर्शन किया। डॉ. जयकुमार एम, परियोजना निदेशक, आरएलवी मिशन निदेशक थे, और श्री मुथुपांडियन जे, एसोसिएट परियोजना निदेशक, आरएलवी मिशन के लिए व्हीकल निदेशक थे। श्री रामकृष्ण, निदेशक, इस्ट्रैक इस अवसर पर उपस्थित थे। अध्यक्ष, इसरो/सचिव, अं.वि. श्री एस सोमनाथ ने परीक्षण देखा और टीम को बधाई दी।

आरएलवी या आंशिक आरएलवी का उपयोग करने वाली अन्य वैश्विक एजेंसियां (Other Global Agencies Using RLV or Partial RLV)

• अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के रियूजेबल अंतरिक्ष लॉन्च व्हीकल लंबे समय से अस्तित्व में हैं, जिसका उपयोग करके नासा के अंतरिक्ष शटल दर्जनों मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशनों को अंजाम दे रहे हैं।

• स्पेसएक्स 2017 से अपने फाल्कन 9 और फाल्कन हेवी रॉकेट के साथ आंशिक रूप से रियूजेबल लॉन्च सिस्टम का प्रदर्शन कर रहा है।

• भविष्य के लिए स्पेसएक्स स्टारशिप नामक पूरी तरह से रियूजेबल लॉन्च व्हीकल प्रणाली पर भी काम कर रहा है।

ISRO RLV LEX: भविष्य की संभावनाएं और चुनौतियां

जबकि RLV LEX परीक्षण एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, इस प्रकार की प्रौद्योगिकी को विकसित करने में भारत के सामने अभी भी कई चुनौतियाँ हैं।

आरएलवी-टीडी कार्यक्रम का सफल लैंडिंग प्रयोग भारत के अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी विकास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। क्योंकि RLV-TD अंतरिक्ष तक कम लागत की पहुंच प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, और इसके सफल कार्यान्वयन से भविष्य में भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को बहुत लाभ होगा।

FAQ (एफ.ए.क्यू.): इसरो RLV के बारे अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Q. इसरो का RLV क्या है?

Ans. आरएलवी या रियूजेबल लॉन्च व्हीकल भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है इसके लिए एक स्पेस लॉन्च व्हीकल विकसित किया जा रहा है। ये स्पेस व्हीकल भारत का पहला मानव रहित उड़ान परीक्षण है, जो साल 2012 में शुरू हुआ था।

Q. आरएलवी (RLV) का उपयोग क्या है?

Ans. रियूजेबल प्रक्षेपण यान (RLV) का मुख्य कार्य उपग्रहों को कक्षा (Orbit) में तैनात करना, और उसके बाद सुरक्षित रनवे पर उतरकर पृथ्वी पर वापस आना है।

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