नवरोज या नॉरूज़ (Nowruz) क्या है और इसे क्यों मनाया जाता है | What is Nowruz (Navroz) Festival, when, where, and why is it celebrated

नौरूज (नवरोज) उत्सव क्या है, फारसी नया वर्ष त्योहार विवरण हिंदी में, नवरोज के बारे में इतिहास और कहानी, पारसी (फारसी) समुदाय के लिए विवरण, नवरोज त्योहार निबंध हिंदी में। (What is Nowruz Celebration Persian New Year Festival Details In Hindi)

इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि नवरोज महोत्सव क्या है, इतिहास और महत्व, इसे कब, कहां और क्यों मनाया जाता है। हर देश में नव वर्ष परंपरागत रूप से अलग अलग समय पर मनाया जाता हैं। ईरान जिसे प्राचीन काल में पर्शिया के नाम से भी जाना जाता था, इसी कारण यहाँ के नागरिकों को पारसी भी कहते हैं। ईरान में नए साल के आगमन को नवरोज़ उत्सव के रूप में हर साल मनाया जाता हैं।

पर्सियन सिविलाइज़ेशन बहुत ही पुरानी हैं, इसलिए इसका प्रभाव दुनिया के कई देशों में था। यही कारण हैं कि आज पारसी समुदाय के लोग दुनिया के बहुत सारे कंट्री में रहते हैं। ये पारसी वहां भी इस नवरोज़ त्योहार को बड़ी धूमधाम से सेलेब्रिट करते हैं। (आजकलहिंदी.कॉम)

Parsi New Year Nowruz Navroz In Hindi
What is Nowruz (Navroz)

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नवरोज या नॉरूज़ क्या है और इसे क्यों मनाया जाता है? (What is Nowruz (Navroz) and why is it celebrated)

नवरोज़ या नौरोज़, ईरानी नववर्ष का नाम है, जिसे फारसी नया साल भी कहा जाता है और मुख्यतः ईरानियों द्वारा दुनिया भर में मनाया जाता है। यह उत्सव मूलत: प्रकृति के साथ प्रेम, आस्था और श्रद्धा का उत्सव है। नवरोज से पारसी संप्रदाय में नए साल का उदय होता है। नवरोज दो पारसी लैंग्वेज के शब्दों ‘नव और रोज‘ से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है- नया दिन।

दुनिया भर में रहने वाले लाखों-करोड़ो पारसी लोग त्योहारों, दावतों में शामिल होते हैं और नवरूज़ के उत्सव में सांस्कृतिक गतिविधियों का आनंद लेते हैं, ईरान में ये वसंत का पहला दिन और फ़ारसी नव वर्ष की आधिकारिक शुरुआत होती हैं ।

नॉरूज़ (NOWRUZ) विश्व के सबसे पुरानी उत्सवों में से एक है और इसका अपना एक समृद्ध इतिहास है जो लगभग 3,000 वर्षों से भी अधिक पुराना है। यह 13 दिनों तक चलने वाला उत्सव वसंत विषुव के साथ शुरू होता है जब सूर्य भूमध्य रेखा को पार करता है। ऐसा माना जाता है यह व्यापक रूप से पुनर्जन्म और प्रकृति के साथ, प्रेम, सद्भाव में जीवन की पुष्टि और नवरंग का प्रतीक है।

कई पारसी लोगों के लिए ये दिन बेहद ही खास होता है। इस दिन लोग आम परंपराओं के अनुसार घर की सफाई, दोस्तों और पड़ोसियों के घर जाना, और पारंपरिक व्यंजन जैसे विशेष मिठाई, तली हुई मछली और जड़ी बूटी चावल तैयार करना आदि कार्य शामिल है।

जानिए क्या है नवरोज और नवरोज कौन मनाता है? (Who celebrates Nowruz)

ईरानी (पारसी) या पर्शियन कैलेंडर और तारीख के अनुसार वसंत विषुव का दिन नवरोज उत्सव का दिन कहलाता है जिसे बड़ी धूमधाम से मनाया जाता हैं। वसंत यानी वसंत ऋतु और विषुव के दो अर्थ हैं, एक तो बीसवां दिन और दूसरा विषुवत रेखा।

ईरानी नवरूज़ क्यों मनाते हैं? (Why do Iranians celebrate Nowruz)

ईरानियों द्वारा नव वर्ष के तौर पर मनाया जाता है, न सिर्फ ईरान में वल्कि दुनिया भर में।

नॉरूज़ क्यों महत्वपूर्ण है? (Why is Nowruz important)

नॉरूज़ सौर हिजरी कैलेंडर के पहले महीने फरवर्डिन की शुरुआत का एक प्रतीक है, और आमतौर पर इसे हर साल 20 या 21 मार्च को विश्व स्तर पर मनाया जाता है। यह उत्सव अच्छे कामों और अच्छे शब्दों के लिए एक दिन के रूप में माना जाता है, इस दिन पारसी लोग अपने घर को साफ करते है और सजाते हैं, नए कपड़े खरीदते हैं, और दोस्तों और परिवार के साथ पर्व भोजन करते हैं।

नॉरूज़ फ़ूड (Nowruz Food)

सब्ज़ी पोलो (जड़ी-बूटी वाला चावल) बा माही (मछली के साथ) एक पारंपरिक फ़ारसी भोजन है जिसे नौरूज़ के पहले दिन खाया जाता है। पारसी लोगों की ऐसी मान्यता है कि जड़ी-बूटियाँ पुनर्जन्म का प्रतीक हैं और मछलियाँ जीवन का प्रतिनिधित्व करती हैं, दोनों ही नए साल के प्रमुख तत्व हैं। आमतौर पर आप किसी भी मछली का उपयोग कर सकते हैं।

पारसी नव वर्ष दिनांक 2024 (Parsi new year date 2024)

बुधवार, 20 मार्च 2024 (wednesday, 20 March 2024)। ईरानी नव वर्ष का पहला दिन, वर्णाल विषुव पर होता है, (आमतौर पर मार्च 20 या 21)।

भारत में नवरोज की शुरुआत किसने की? (Who Introduced Nowruz In India)

दिल्ली सल्तनत के सुल्तान बलबन ने अपने धन और शक्ति से अपने मंत्रिओं, रईसों और राज्यों के लोगों को प्रभावित करने के लिए भारत में प्रसिद्ध फारसी त्योहार नवरोज की शुरुआत की थी। मूलतः यह त्योहार वसंत विषुव के नए साल का आगमन उत्सव है। ऐसा कहाँ जाता है कि बलबन की शासन अवधि के दौरान लोग उनके शासन के तरीकों से ज्यादा खुश नहीं थे, इसलिए उन्होंने अपने राज्य क्षेत्र में कानून की स्थिति से लोगों का ध्यान हटाने की कोशिश की, उन्होंने फ़ारसी नव वर्ष उत्सव की शुरुआत की, जिसे कुछ किताबों या ग्रंथो में नॉरूज़ उत्सव के नाम से जाना जाता है।

भारत में नवरोज त्योहार (Nowruz In India)

नवरोज़ त्यौहार पूरी दुनिया में पारसियों द्वारा बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। नवरोज़ फ़ार्वर्डिन के पहले दिन को चिह्नित करता है, जो पारसी कैलेंडर का पहला महीना है, जिसे शहंशाही कैलेंडर के रूप में भी जाना जाता है। इस साल का नॉरूज़ उत्सव आधिकारिक तौर पर 20 मार्च 2024 को है।

भारत में भी पारसियों की एक बड़ी संख्या हैं, इसलिए यहाँ भी इसे मनाया जाता है। लेकिन यह दिन भारत में जुलाई के अंत या अगस्त में मनाया जाता है क्योंकि यहां का पारसी समुदाय शहंशाही कैलेंडर का पालन करता है, जिसमें लीप ईयर शामिल नहीं है।

हालाँकि, यह पारसी नव वर्ष दुनिया के अधिकांश देशों में वसंत विषुव (vernal equinox) के समय 20 या 21 मार्च को मनाया जाता है। लेकिन भारत में पारसी लोग शाहंशाही कैलेंडर का उपयोग करते हैं, जिसमें लीप वर्ष शामिल नहीं है। इस कारण पारसी नव वर्ष शेष विश्व के लगभग 200 दिन बाद भारत में मनाया जाता है। यहां पारसी अगस्त माह में नवरोज़ उत्सव मनाते हैं।

इस साल भारत में पारसी नव वर्ष 16 अगस्त (बुधवार) 2023 को मनाया जाएगा।

नॉरूज़ का इतिहास और कहानी (The history and story of Nowruz)

पारसी न्यू ईयर नवरोज फेस्टिवल के बारे में आप सभी को पता होना चाहिए – नवरोज (Nowruz) त्योहार क्या है?
इसका संबंध सूर्य से भी जोड़ा जाता है। दरअसल, ईरानी (पारसी) कैलेंडर की तारीख के अनुसार प्रत्येक वर्ष वसंत विषुव का दिन नवरोज का दिन कहलाता है।वसंत यानी वसंत ऋतु और विषुव के दो अर्थ होते हैं, एक तो विषुवत रेखा और दूसरा बीसवां दिन। ईरान यानी कि जहां से प्रचलित मान्यताओं में पारसी धर्म आरम्भ हुआ था, वहां के लोग यह मानते हैं कि जब सूर्य की किरणें विषुवत रेखा पर चमकने लगती हैं तो नवरोज का त्योहार आता है।

नवरोज कई नामों से जाना जाता है। नवरोज एक फारसी भाषा का शब्द है, जो नव और रोज से मिलकर बना है। नवरोज शब्द में नव का अर्थ होता है- नया और रोज का अर्थ होता है दिन। इसलिए नवरोज त्योहार को एक नए दिन के प्रतीक के रूप में उत्सव की तरह मनाया जाता है। ईरान देश में नवरोज को- ऐदे नवरोज कहा जाता है।

पारसी न्यू ईयर को नवरोज, जमशेदी नवरोज, पतेती और खोरदाद साल के नाम से भी जाना जाता है। यहां यह जानना दिलचस्प है कि पारसी कैलेंडर की स्थापना करने वाले फारसी राजा जमशेद के नाम पर इस दिन को जमशेदी नवरोज़ भी कहा जाता है।

हालांकि ये त्योहार साल में दो बार उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। इसे 16 अगस्त और 21 मार्च को, छमाही और वार्षिक के तौर पर मनाया जाता है। आज दुनिया भर में करीब कई करोड़ लोग (मिलियन) से ज्यादा लोग नवरोज को बड़े उत्साह और उमंग के साथ हर साल मनाते हैं।

पारसी नववर्ष नवरोज़ का ऐतिहासिक महत्व (Historical Significance of Parsi New Year Navroz)

ऐतिहासिक स्रोतों के अनुसार, 3000 साल पुरानी पारसी परंपरा पारसी नववर्ष अवकाश उत्सव की शुरुआत पैगंबर जोरास्टर ने की थी। नवरोज़ उत्सव को उस समय से मनाया जाता है जब पैगंबर जरथुस्त्र (Prophet Zarathustra) ने फ़ारस अथवा पर्शिया (ईरान) में संसार के के सबसे पहले ज्ञात एकेश्वरवादी धर्मों में से एक पारसी धर्म (Zoroastrianism) की स्थापना की थी।

यह फारस (अब ईरान) में पारसी धर्म के अनुयायियों द्वारा मनाया जाता था, जो 7वीं शताब्दी में इस्लामी आक्रमणों के कारण भारत में गुजरात, महाराष्ट्र जैसे स्थानों पर चले गए थे। यहां यह बताना जरूरी है कि सातवीं शताब्दी में इस्लाम के उदय और प्रसार तक यह दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण धर्मों में से एक था।

हालाँकि इस त्यौहार की शुरुआत फारस में ही हुई थी, लेकिन आज भी यह कई भारतीय राज्यों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन को फ़ारसी राजा जमशेद के नाम पर जमशेदी नवरोज़ उत्सव भी कहा जाता है, जिन्होंने पारसी कैलेंडर की स्थापना की थी।

संबंधित लोकप्रिय कहानी – 1 (शाह जमदेश का हुआ था राजतिलक)

लोक-कथा के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि करीब तीन हजार साल पहले पर्शिया (ईरान) में जब शाह जमदेश ने सिंहासन ग्रहण किया था, उस दिन को पारसी समुदाय में नवरोज का दिन कहा गया था। आगे चलकर इस नवरोज दिन को जरथुस्त्र वंशियों द्वारा नए वर्ष के पहले दिन के रूप में प्रतिवर्ष मनाया जाने लगा। आज दुनिया के प्रमुख देश जैसे ईरान, इराक, भारत, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान, बहरीन, लेबनान, में पारसी नववर्ष को नवरोज के रूप में मनाया जाता है।

संबंधित लोकप्रिय कहानी – 2 (अग्नि की है मान्यता)

दुनिया में लगभग हर संप्रदाय व धर्म में जिस तरह अग्नि की मान्यता है, ठीक उसी तरह पारसी समुदाय भी नवरोज के दिन अग्नि को लेकर विशेष पूजा अनुष्ठान आदि किए जाते हैं। इस दिन जरथुस्त्र की तस्वीर, सुगंधित अगरबत्ती, मोमबत्ती, सिक्के, कांच, शक्कर, जैसी पवित्र चीजें एक जगह रखी जाती हैं। साथ ही समस्त पारसी समुदाय में ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से परिवार में सुख-समृद्धि, और शांति बढ़ती है। इस नवरोज उत्सव के दिन परिवार के सभी लोग एकसाथ मिलकर प्रार्थना स्थलों पर जाते हैं। इसके अलावा पवित्र अग्नि में चन्दन की लकड़ी चढ़ाने की परंपरा भी है। उपासना स्थल पर चन्दन की लकड़ी अग्नि को समर्पित करने के बाद पारसी समुदाय के सभी लोग एक दूसरे नवरोज उत्सव की शुभकामनाएं देते हैं।

क्या नवरोज और पारसी नया साल एक ही है

नवरोज और पारसी नव वर्ष में क्या अंतर है: पारसी धर्म के लोग पारसी कैलेंडर के पहले महीने के पहले दिन को नव वर्ष के रूप में मनाते है, इसे नवरोज़ या नौरोज़ उत्सव कहा जाता है। ये फ़ारसी भाषा में ‘नव’ और ‘रोज़’ से बना है, जिसका अर्थ क्रमशः नया और दिन होता है।

FAQ (सामान्य प्रश्न) नाउरूज़ के बारे में: (What is Nowruz or Navroz In Hindi)

Q: पारसी नववर्ष कौन सा त्यौहार हैं?

Ans: हर साल पारसी समुदाय अपना नववर्ष सेलिब्रेट करते है जिसे नवरोज भी कहते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन से ही ईरानियन कैलेंडर के नए साल की शुरुआत होती है। ईरानी पारसी समुदाय के नववर्ष को नवरोज, नॉरूज़, जमशेदी नवरोज और पतेती, जैसे कई नामों से पहचाना जाना जाता है। आमतौर पर इसे प्रतिवर्ष 20 या 21 मार्च को पारसी नववर्ष ‘नवरोज’ (Nowruz) मनाया जाता है।

Q: नवरोज कौन से राज्य या देश में मनाया जाता हैं?

Ans: नवरोज या नौरोज़ ईरान देश में मुख्य रूप से मनाया जाता हैं क्योंकि यहाँ ये सबसे अधिक महत्वपूर्ण त्यौहार है, इसी दिन ईरान (Persia) देश का आधिकारिक नया वर्ष शुरू होता है। इसके अलावा जहाँ भी पारसी समुदाय के लोग रहते है वहां भी इसे मनाया जाता हैं।

Q: नवरोज त्यौहार कहाँ मनाया जाता है?

Ans: यह त्यौहार विश्व के कई हिस्सों में जैसे ईरान, इराक, बरहीन, लेबनान, भारत, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान आदि समान हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

Q: नौरोज प्रथा क्या है?

Ans: नौरोज़ या नवरोज, ईरान जिसे प्राचीन काल में पर्शिया भी कहते थे, वहां इसे फारस के राजा जमशेद की याद में मनाते हैं। इतिहासकारों के अनुसार कहा जाता है कि करीब तीन हजार साल पहले एक पारसी समुदाय के एक महान योद्धा जमशेद ने पहली बार इस पारसी कैलेंडर की स्थापना की थी। परन्तु ग्रेगोरी कैलेंडर के अनुसार, नौरोज़ या नवरोज नया दिन वसंत ऋतु में मनाया जाता है, जब दिन और रात बराबर होते हैं। इस दिन सभी पारसी लोगों द्वारा अपने घर की साफ-सफाई कर घर के बाहर रंगोली बनाई जाती है।

Q: पारसियों के दो नए साल क्यों होते हैं?

Ans. पारसी समुदाय के पास तीन कैलेंडर हैं, शहंशाही, कादिमी और फसली कैलेंडर। इसके अलावा, उनके पास यज़्देगेर्डी युग है, जो 632 ई.पू. से शुरू होता है और अंतिम सस्सानिद शासक यज़्देगेर्ड III के राज्यारोहण से वर्षों की गिनती करता है। क्योंकि भारत में लोग अधिकतर शहंशाही कैलेंडर का पालन करते हैं। जबकि फ़ासली कैलेंडर में पारसी नव वर्ष वसंत विषुव पर तय किया गया है और उनके लिए नवरोज़ 21 मार्च को तय किया गया है। शहंशाही कैलेंडर में लीप वर्ष को ध्यान में नहीं रखा गया है और जिसके परिणामस्वरूप, भारत में पारसी नव वर्ष मनाया जाता है। इसके 200 दिन बाद इसे दुनिया भर में मनाया जाता है।

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